Uttar Pradesh News: अखिलेश यादव और मायावती के बीच फोन उठाने को लेकर शुरू हुई ‘किचकिच’ के बाद भारतीय जनता पार्टी भी मैदान में कूद पड़ी है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने अखिलेश और मायावती के बीच लड़ाई पर प्रतिक्रिया देते हुए दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को घेर लिया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को दलित विरोधी पार्टी भी बताया है।
मायावती और अखिलेश यादव के बीच लड़ाई गठबंधन तोड़ने को लेकर है। मायावती पुराने मुद्दे को उछालते हुए अब अखिलेश यादव को घेर रही हैं तो सपा प्रमुख भी जवाब देने के लिए सामने खड़े हो गए हैं। दोनों की लड़ाई के बीच बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की विचारधाराओं में बहुत अंतर है।
‘सपा शासन में बसपा कार्यकर्ताओं ने अत्याचार झेले’
राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा कहते हैं, ‘सपा शासन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं और दलितों ने सबसे अधिक अत्याचार झेले। अगर आप इंटरनेट पर खोजेंगे, तो पाएंगे कि दलितों पर अत्याचार के सबसे अधिक मामले सपा शासन के दौरान दर्ज किए गए थे। सपा और बसपा दोनों के कार्यकर्ताओं ने दोनों दलों के बीच (2019 के लोकसभा चुनावों में) गठबंधन को स्वीकार नहीं किया। जब बसपा को 10 सीटें मिलीं और सपा को केवल पांच (उत्तर प्रदेश में) तो सपा को लगा कि बसपा को उसके वोट मिले, लेकिन सपा को बसपा के वोट नहीं मिले। शायद इसके बाद दोनों नेताओं (सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती) के बीच मतभेद हो गए। वैसे भी सपा दलित विरोधी पार्टी है।’
यह भी पढ़ें: योगी सरकार का बड़ा आदेश…17 सितंबर को नहीं खुलेंगी मीट-मांस की दुकानें
जब आमने-सामने आए मायावती और अखिलेश
मायावती ने दो दिन पहले सपा से गठबंधन के टूटने का कारण बताते हुए अखिलेश यादव को दोषी ठहराया था। मायावती ने दावा किया कि अखिलेश यादव ने बसपा नेताओं के फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया। उन्होंने कहा, ‘2019 चुनाव के नतीजों में बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिलीं, जिसके चलते गठबंधन बनाए रखना तो दूर की बात थी, अखिलेश ने बसपा प्रमुख और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फोन उठाने बंद कर दिए थे। इसके चलते पार्टी के सम्मान को बचाने के लिए सपा से गठबंधन तोड़ना पड़ा।’
मायावती के आरोपों पर अखिलेश यादव ने कहा कि किसी को भी अंदाजा नहीं था कि गठबंधन टूट रहा है। अखिलेश ने पिछले दिनों लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘जब गठबंधन टूटा, तब मैं आजमगढ़ में रैली को संबोधित कर रहा था। वहां सपा और बसपा दोनों के कार्यकर्ता मौजूद थे। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि गठबंधन टूट रहा है। मैंने खुद (बसपा प्रमुख) से फोन करके पूछा था कि गठबंधन क्यों टूट रहा है। रैली के बाद मीडिया के सवालों के लिए खुद को तैयार करने के लिए मुझे जवाब चाहिए था।’
इसके बाद अखिलेश पर भी मायावती ने पलटवार किया और कहा कि ‘लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 और SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था, जिसको लेकर उनके की तरफ से अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित और विश्वसनीय? सोचने वाली बात।’
यह भी पढ़ें: केजरीवाल को आधी अधूरी ‘आजादी’, हरियाणा चुनाव में किसको संजीवनी?