अफ़ग़ानिस्तान में यूएन की विशेष प्रतिनिधि का कहना है कि सत्तारूढ़ तालेबान प्रशासन ने देश में इस्लामी क़ानून की सख़्त व्याख्या को थोपा है, जिससे हाल के दशकों में पहली बार स्थिरता तो नज़र आई है, मगर स्थानीय आबादी, विशेष रूप से महिलाओं के लिए संकट और गहराने की आशंका है.