आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF treatment) क्यों किया जाता है? इसे पढ़िए

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आज के दौर में ऐसे विवाहित जोड़ों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिनकी अपनी कोई संतान नहीं है। यही उनके लिए सबसे बड़ा दुख का कारण है। इस समस्या को खत्म करने के लिए वह अन्य तरह की दवा का सेवन करना, उपवास रखना, बाबा के पास जाना आदि तमाम तरीके अपनाते हैं। ऐसे कई तरीके अपनाने के बाद भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिलता है। यदि आप भी इनमें से एक हैं तो अब आपको कहीं और भटकने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको एक ऐसी मेडिकल प्रक्रिया के बारे में बताएंगे जिससे विवाहित जोड़ा संतान प्राप्ति कर सकता है। दरअसल इस प्रक्रिया का नाम आईवीएफ उपचार (IVF treatment) है। इस उपचार से पहले डॉक्टर मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य की जाँच करता है। उसके बाद ही वह आगे के उपचार की प्रक्रिया को शुरू करता है।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट क्यों किया जाता है?

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट क्यों किया जाता है इसके बारे में हम आपको बताएंगे। लेकिन पहले ये जानिए कि आईवीएफ का फूल फॉर्म क्या है? इसे इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है, जिसमें एक पुरुष के शुक्राणु और एक महिला के अंडे को एक लैब में मिलाकर रखा जाता है और कुछ दिन बाद इसे उस महिला के गर्भाशय (Uterus) में डाला जाता है। यह एक फर्टिलिटी उपचार है। इस प्रक्रिया को तब किया जाता है जब कोई विवाहित जोड़ा अनेक कोशिशों के बाद भी बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है।

 

लेकिन ऐसे कई लोग हैं जिन्हें इस प्रक्रिया के बारे में कोई जानकरी नहीं है। जब कोई महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है तो इसमें केवल उसकी ही कमी नहीं होती है। दरअसल इसमें पुरुषों की भी कमी होती है। लेकिन समाज तो केवल महिला को ही बांझ बता देता है। बल्कि इसके बजाए यह जानना जरूरी है कि बांझपन का कारण क्या है? उपचार से पहले प्रजनन विशेषज्ञ (fertility specialist) द्वारा पति और पत्नी दोनों पर कुछ परीक्षण किए जाते हैं।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट का खर्च कितना होता है?

 

 

यदि हम दिल्ली की बात करें तो आईवीएफ उपचार का खर्च लगभग 2,50,000 से 3,00,000 के बीच में है। आपको बता दें की लागत हर चिकित्सा उपचार का सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए हर मरीज इलाज से पहले उसकी लागत और खर्च के बारे में जरूर जानना चाहता है। यदि आप आईवीएफ ट्रीटमेंट की तलाश में हैं तो हम आपकी इसमें बेहतर मदद करेंगे।

 

 

डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट कब करवाने को कहते है?

 

आपको बता दें की डॉक्टर किसी भी शादीशुदा जोड़े को आईवीएफ की सलाह नहीं देते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया केवल उन्हीं लोगों के लिए प्रभावी है जिन्हें ये 5 स्वास्थ्य समस्याएं हैं:

 

फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज (Blockage in the fallopian tubes): आईवीएफ मुख्य रूप से तब किया जाता है जब किसी महिला को फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज हो जाता है।

 

पुरुष बांझपन (Male Infertility): कई बार पुरुष बांझपन भी एक कारण होता है जिसकी वजह से विवाहित जोड़े बच्चे को जन्म नहीं दे पाते हैं। ऐसे में आईवीएफ एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

 

पीसीओएस से पीड़ित (Suffering from PCOS): अगर कोई महिला पीसीओएस से पीड़ित है और अगर वह मां बनना चाहती है तो वह इसके लिए आईवीएफ अपना सकती है।

 

अनुवांशिक रोग होना (Genetic disease): संतान के सुख से वंचित होने का कारण अनुवांशिक रोग भी होता है। ऐसे लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें आईवीएफ के जरिए संतान सुख मिल सकता है।

 

बांझपन का सही कारण नहीं जानना: ऐसे कई मामले हैं जिनमें बांझपन के सही कारण का पता नहीं चल पाता है। इसी वजह से बांझपन के कारण का पता लगाने के लिए आईवीएफ भी किया जाता है।

 

 

आईवीएफ प्रक्रिया में डोनर की क्या भूमिका होती है?

 

 

आईवीएफ प्रक्रिया के लिए आप डोनर स्पर्म या डोनर एग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा तब किया जाता है जब आपके पार्टनर में स्पर्म की कमी हो जाती है। फिर इसके लिए डोनर से स्पर्म लिया जाता है। साथ ही, इस प्रकार की प्रक्रिया उन जोड़ों के लिए फायदेमंद है जो किसी प्रकार के गंभीर आनुवंशिक विकार (cancer) से पीड़ित हैं और अपने बच्चों में उस विकार को नहीं चाहते हैं।

 

इसके साथ ही अगर किसी महिला या पुरुष को कम उम्र में कैंसर का पता चलता है तो उस स्थिति में भी आईवीएफ की मदद से वे अपने स्वस्थ अंडे या शुक्राणु को भविष्य के लिए बचा सकते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है जो प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

कैंसर के इलाज के बाद इन अंडों या शुक्राणुओं का इस्तेमाल आईवीएफ प्रक्रिया के लिए किया जा सकता है। जैसे की हमने आपको बताया की आईवीएफ ट्रीटमेंट क्यों किया जाता है? इसके साथ यह जानना भी जरूरी है कि आईवीएफ उपचार से पहले महिलाओं और पुरुष के लिए कौन-से टेस्ट होते हैं।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले महिलाओं के लिए टेस्ट?

 

इनफर्टिलिटी का कारण जानने के लिए महिलाओं को निम्नलिखित टेस्ट से गुजरना पड़ता है।

 

फैलोपियन ट्यूब टेस्ट

 

रक्त टेस्ट

 

गर्भाशय टेस्ट

 

ओव्यूलेशन टेस्ट

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले पुरुषों के लिए टेस्ट?

 

पुरुषों के लिए डॉक्टर केवल पुरुष के वीर्य का विश्लेषण करते है, जिसमें शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार की जाँच की जा सकती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक परीक्षण किए जाते हैं क्योंकि गर्भधारण के लिए एक महिला में कई अन्य कारक भी महत्वपूर्ण होते हैं।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

 

आईवीएफ की प्रक्रिया कुछ चरणों में की जाती है। नवीनतम अध्ययनों के अनुसार, कोई भी महिला 3 आईवीएफ चक्रों के बाद गर्भवती हो जाती है। एक चक्र में कई चरण होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

 

चरण 1: अंडाशय को उत्तेजित करना: आईवीएफ अंडाशय को उत्तेजित करने के साथ शुरू होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अंडाशय को इस प्रक्रिया के लिए तैयार किया जा सके।

 

चरण 2: अंडा पुनर्प्राप्ति: अंडा पुनर्प्राप्ति अंडाशय को उत्तेजित करके होता है। वैज्ञानिक रूप से यह माना जाता है कि गर्भ धारण करने के लिए एक महिला को पर्याप्त मात्रा में अंडे की आवश्यकता होती है।

 

चरण 3: भ्रूण का निर्माण: अंडे की पुनर्प्राप्ति के बाद, भ्रूण का निर्माण होता है। इसे लैब में अंडे और स्पर्म को मिलाकर बनाया जाता है।

 

चरण 4: भ्रूण को स्थानांतरित करना: लैब में बनाए गए भ्रूण को उस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है जो बच्चा चाहती है।

 

चरण 5: गर्भावस्था परीक्षण करवाना:  भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करने के तुरंत बाद एक महिला का गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि आईवीएफ प्रक्रिया सफल रही या नहीं।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट में कितने समय लगता है?

 

 

आपको बता दें कि आईवीएफ के एक चक्र में चार से छह सप्ताह लग सकते हैं। वहीं, अंडे को निकलने और निषेचित होने में आधा दिन तक का समय लग सकता है। लगभग दो या तीन दिनों के बाद महिला को भ्रूण स्थानांतरण के लिए तैयार हो जाता है।  इसके बाद ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (एक निषेचित अंडे का गर्भाशय में स्थानांतरण) के लिए आपका डॉक्टर अस्पताल में आपको बुलाता है।

 

 

आईवीएफ ट्रीटमेंट के फायदे क्या हैं?

 

आईवीएफ प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये उन जोड़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पाते हैं। जिन महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब में रुकावट होती है या वे पुरुषों जिनके पास स्वस्थ शुक्राणु नहीं होते हैं, ऐसे लोगो के लिए यह एक बहुत अच्छी प्रक्रिया है।

 

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