Bahraich Bhediya Attack: जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है…याद है ना? अरे वही, जंगल बुक वाला मोगली, जो कहता था चड्ढी पहन के फुल खिला है। मोगली कोई काल्पनिक कैरेक्टर नहीं था, बल्कि दीना सनीचर नाम का एक बच्चा था जिसे भेड़ियों के झुंड ने पाला था। वो उन्हीं की तरह चलता, बोलता और कच्चा मांस खाता था।
मोगली का जिक्र यहां इसलिए क्योंकि मनुष्यों से सामाजिक रिश्ता रखने वाले भेड़िए बहराइच में इतने खूंखार हो गए हैं कि उन्होंने अबतक 10 लोगों को अपना निवाला बनाया है। वो अबतक 9 बच्चों और एक महिला को मौत के घाट उतार चुके हैं। बहराइच के आसपास के लगभग 50 गांवों में आदखोर भेड़ियों की दहशत है। भेड़ियों के अचानक बदले व्यवहार से गांव के लोग अचंभित हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वो बदला ले रहा है तो वहीं कुछ कह रहे हैं कि बिजली का करंट लगने से भेड़िया पागल हो गया है।
पहले बगल से ऐसे ही निकल जाते थे भेड़िए
स्थानीय लोगों के मुताबिक भेड़ियों का व्यवहार पहले ऐसा नहीं था। खेतों में काम करते समय कई बार ऐसा होता था कि भेड़िए और सियार बगल से निकल जाते थे। हालांकि बकरी, मुर्गी या फिर कुत्ते का बच्चा भले ही इनके शिकार हुए हों लेकिन वो इंसानों पर कभी हमला नहीं बोलते थे। बस 40 साल पहले एक बच्चे पर हमले की बात सामने आई थी।
अब बदला ले रहा भेड़िया या करंट लगने से हुआ पागल
बहराइच में चर्चा ये भी है कि एक मांद में भेड़िए के दो बच्चे थे, जो ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए। इसके बाद भेड़िए बदला लेने के लिए आक्रामक हो गए, क्योंकि ये अपने परिवार को लेकर बहुत ही भावनात्मक होते हैं। हालांकि वन विभाग इस बात की पुष्टि नहीं कर रहा, लेकिन यह सच है कि अपने झुंड के बुजुर्गों और बच्चों को लेकर भेड़िए बहुत संवेदनशील होते हैं।
वहीं ये कहानी में बहराइच की हवाओं में घूम रही हैं कि बिजली का करंट लगने से कोई भेड़िया पागल हो गया है। बताया जा रहा है कि बिजली का करंट लगने से ही भेड़िया लंगड़ा (लंगड़ा भेड़िया जिसे झुंड का सरदार बताया जा रहा है ) हो गया था। करंट लगने से वो पागल हो गया। शिकार करने की फुर्ती कम होने के चलते उसने बच्चों को शिकार बनाया, जिसके बाद उसके मुंह में इंसानी खून लग गया और वो लगातार हमले कर रहा है।
इसे भी पढ़ें- हिंदू नाम से दुकान चला रहा था आमिर! जूस में पेशाब मिलाकर ग्राहकों को पिलाया; 1 लीटर यूरीन बरामद