दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल जेल की सजा काट रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित नेता कुलदीप सेंगर की अंतरिम जमानत अवधि शुक्रवार को तीन दिन के लिए बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत बढ़ाने की सेंगर की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले को 23 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने का आदेश तब दिया जब उसे बताया गया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ भी उन्नाव बलात्कार के मुख्य मामले में इसी तरह की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सोमवार (23 दिसंबर) को पुन: सूचित करें। तब तक अंतरिम जमानत को उन्हीं पिछली शर्तों पर बढ़ाया जाता है।’’
न्यायमूर्ति ओहरी को सूचित किया गया कि मामला शुक्रवार को खंडपीठ के समक्ष भी सूचीबद्ध है और आदेश की प्रतीक्षा है।
उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने दिन में उन्नाव बलात्कार मामले की सुनवाई के दौरान सेंगर की सेहत के संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की रिपोर्ट पर गौर करते हुए टिप्पणी की कि वह उसकी अंतरिम जमानत अवधि चार हफ्ते के लिए बढ़ाएगी।
एम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि चिकित्सकों की एक टीम द्वारा सेंगर की जांच करने के बाद आवश्यक सर्जरी की गई थी।
सेंगर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने आवश्यक देखभाल और आगे का इलाज सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम जमानत को पांच महीने तक बढ़ाने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘सेंगर को ऐसी जगह रखे जाने की जरूरत है जहां किसी प्रकार का संक्रमण न हो। उसकी आंखों की रौशनी जा सकती है।’’
खंडपीठ ने पांच दिसंबर को उसकी सजा को 20 दिसंबर तक अंतरिम रूप से निलंबित करने का निर्देश दिया था।
यह देखते हुए कि सेंगर को बलात्कार मामले में खंडपीठ द्वारा समान राहत दी गई थी, एकल न्यायाधीश ने हिरासत में मौत के मामले में उसकी सजा को 20 दिसंबर तक निलंबित कर दिया और उसे 10 दिनों की अंतरिम जमानत दी।
खंडपीठ ने सेंगर की चिकित्सा स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए एम्स, नई दिल्ली में भर्ती कराने का आदेश दिया था।
अधीनस्थ अदालत ने सेंगर को नाबालिग पीड़िता से बलात्कार का दोषी ठहराया था और 20 दिसंबर, 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
बलात्कार मामले में अधीनस्थ अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील उच्च न्यायालय में लंबित है।
सेंगर पर 2017 में नाबालिग पीड़िता का अपहरण और बलात्कार करने का आरोप है।
13 मार्च, 2020 को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में अधीनस्थ अदालत ने सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। निचली अदालत ने कहा कि किसी परिवार के ‘एकमात्र कमाने वाले’ व्यक्ति की हत्या पर ‘कोई उदारता’ नहीं दिखाई जा सकती।