दुबई स्थित उर्वरक और फॉस्फेट ट्रेडिंग कंपनी एग्रीफील्ड्स DMCC के प्रमोटर अमित गुप्ता पर घोटाले का आरोप लगा है। अमित गुप्ता भारत में फॉर्मफील्ड्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक भी हैं। उनके उभरने और फिर विवादों में आने की कहानी भी पूरी फिल्मी है।
कोलकाता में जन्मे और पले-बढ़े गुप्ता ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया और ऑस्ट्रेलिया से एंटरप्रेन्योरशिप में एमबीए की डिग्री हासिल की। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और लंदन बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम भी किया है।
उनकी शानदार शैक्षिक पृष्ठभूमि के बावजूद, अमित गुप्ता का नाम अब कॉर्पोरेट घोटालों के साथ जोड़ा जा रहा है। उन पर इंटरपोल द्वारा रेड अलर्ट जारी किया गया है और विभिन्न देशों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। गुप्ता का नाम विशेष रूप से अल्जीरिया की राज्य-स्वामित्व वाली फॉस्फेट कंपनी सोमिफोस के साथ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों में जुड़ा हुआ है।
फिलहाल, गुप्ता ऑस्ट्रेलिया के सबसे लंबे चलने वाले संघीय रिश्वतखोरी आपराधिक जांच का सामना कर रहे हैं और भारत में कोलकाता पुलिस द्वारा धोखाधड़ी, जालसाजी और खाते में हेरफेर के आरोपों की जांच चल रही है। सोमिफोस, जिसे सोसाइटी डेस माइंस डी फॉस्फेट या फेरफोस के नाम से भी जाना जाता है, ने लंबे समय से गुप्ता की कंपनी एग्रीफील्ड्स DMCC के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखा है।
रिपोर्टों के अनुसार, गुप्ता ने अल्जीरिया की राज्य-स्वामित्व वाली कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने लिए फायदेमंद सौदे हासिल किए। खोजी पत्रकार निक मैकेंजी ने गुप्ता को “कॉर्पोरेट अपराध का सरगना” बताया, जिन्होंने “लगभग $800 मिलियन का वैश्विक व्यापार साम्राज्य खड़ा किया” और जिनके संदेहास्पद कारोबार नाउरु तक फैले हुए थे, जहां उन पर तख्तापलट कराने के लिए नेताओं को रिश्वत देने का आरोप है।
2020 में, ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने गुप्ता की संपत्तियों और बैंक खातों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की, जिनकी कीमत लगभग $200 मिलियन आंकी गई है। ये संपत्तियां ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और न्यूयॉर्क में फैली हुई हैं। 2023 तक, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने गुप्ता के प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन इस घटनाक्रम का खुलासा 2024 में हुआ।