कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने शनिवार को कहा कि वायनाड से निर्वाचित होने पर एक जन प्रतिनिधि के रूप में उनकी यह पहली यात्रा जरूर होगी, लेकिन एक ‘जन सेनानी’ के तौर पर नहीं क्योंकि लोकतंत्र, न्याय और संविधान में निहित मूल्यों के लिए लड़ना उनके जीवन की बुनियाद रही है।
प्रियंका गांधी ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर गत 23 अक्टूबर को वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने शनिवार को वायनाड के लोगों को लिखे खुले पत्र में कहा कि वह उनके साथ मिलकर काम करेंगी और उनके समक्ष मौजूद चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेंगी।
कांग्रेस नेता ने लोगों से समर्थन का आग्रह करते हुए कहा कि सांसद चुने जाने के बाद उनका काम वायनाड के लोगों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएगा और वह उनकी लड़ाई लड़ने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोग इस यात्रा में ‘‘मेरे मार्गदर्शक और शिक्षक’’ होंगे।
प्रियंका गांधी का कहना था, ‘‘इस यात्रा में आप मेरे मार्गदर्शक और शिक्षक होंगे जो (मुझे आशा है) एक जन प्रतिनिधि के रूप में मेरी पहली यात्रा होगी लेकिन एक जन सेनानी के रूप में मेरी पहली यात्रा नहीं होगी। लोकतंत्र, न्याय और हमारे संविधान में निहित मूल्यों के लिए लड़ना मेरे जीवन की बुनियाद रही है।’’
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘‘मैं आपके समर्थन से हमारे सभी के भविष्य के लिए इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं और यदि आप मुझे अपना सांसद बनाना चुनते हैं तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।’’
राहुल गांधी इस लोकसभा चुनाव में वायनाड के साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली से भी निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला किया। इस वजह से यहां उपचुनाव हो रहा है। वायनाड में 13 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 23 नवंबर को होगी।
वायनाड से निर्वाचित होने पर प्रियंका पहली बार किसी सदन की सदस्य बनेंगी। वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में उतरी थीं। उसके बाद से वह पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। निर्वाचित होने पर प्रियंका गांधी पहली बार सांसद बनेंगी तथा यह भी पहली बार होगा कि गांधी परिवार के तीन सदस्य – सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका एक साथ संसद में होंगे।