जमानत के लिए AAP नेता सत्येंद्र जैन को करना होगा इंतजार, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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Delhi News: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब कोर्ट 15 अक्टूबर को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी। ED ने कोर्ट में सत्येंद्र जैन की जमानत का विरोध किया है।

इससे पहले सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के एक मामले में डिफॉल्ट जमानत देने की अपील की थी और कहा कि उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच अधूरी है। जेल में बंद जैन के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत ने अधूरे तथ्यों के आधार पर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और ऐसा संज्ञान कानून के तहत वैध नहीं है।

ED के वकील की दलील

इस मामले को न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने 9 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया है, जब अलग-अलग पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी जाएंगी। अदालत ने जैन के वकील को संक्षिप्त लिखित दलीलें दाखिल करने की भी अनुमति दी है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, ईडी के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय की एक समन्वय पीठ ने हाल ही में सह-आरोपी अंकुश जैन और वैभव जैन की याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें अधूरी जांच के आधार पर मामले में डिफॉल्ट जमानत का अनुरोध किया गया था।

पीठ ने कहा कि अधीनस्थ अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला है कि याचिकाकर्ताओं (वैभव और अंकुश जैन) के खिलाफ दाखिल शिकायत अपराध से जुड़े सभी आवश्यक तत्वों को समाहित करने के संदर्भ में पूर्ण थी।

सत्येंद्र जैन के वकील की दलील

हालांकि, आप नेता के वकील ने कहा कि अन्य आरोपियों के खिलाफ हो सकता है कि जांच पूरी हो गई हो, लेकिन उनकी दलील यह है कि सत्येंद्र जैन के संबंध में जांच पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘निचली अदालत ने अधूरी सामग्री के आधार पर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था, इसलिए कानून की नजर में यह संज्ञान नहीं है।’ अदालत को यह भी बताया गया कि जैन की नियमित जमानत याचिका निचली अदालत में लंबित है। जैन की इसी याचिका पर कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया है।

जैन पर कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। उन्होंने निचली अदालत के 15 मई के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उन्हें मामले में डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने 28 मई को नोटिस जारी करके याचिका पर ED से जवाब मांगा था। जैन ने दलील दी थी कि ईडी वैधानिक अवधि के भीतर सभी मामलों में जांच पूरी करने में विफल रही और अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोपपत्र), जो अधूरी थी, उसे दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167(2) के प्रावधानों के तहत डिफॉल्ट जमानत के उनके अधिकार से वंचित करने के प्रयास में दायर किया गया था।

इस मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था। अंकुश और वैभव को ईडी ने 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया था।

(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)

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