भारत के सामने सबसे बड़ा आतंकवादी खतरा आईएसआईएस या अलकायदा से जुड़े समूहों से प्रतीत होता है, जो जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास सक्रिय हैं। यह बात एफएटीएफ ने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण अपराधों से निपटने के वास्ते देश के लिए अपनी रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को कही।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की 368 पृष्ठों की रिपोर्ट में मणिपुर की हालिया स्थिति का भी उल्लेख किया गया है, जहां पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जातीय हिंसा जारी है, जिसके कारण 220 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
इसमें कहा गया है कि 2023 में आतंकवादी-वित्तपोषण (टीएफ) जांच में “अचानक वृद्धि” देखी गयी और इसका कारण मणिपुर में हुई घटनाएं हैं, जिसके चलते 50 से अधिक मामलों में ऐसी जांच की गई।
एफएटीएफ ने कहा कि 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत लगातार आतंकवाद के प्रभावों से पीड़ित रहा है।
उसने कहा, ‘‘भारत को विभिन्न प्रकार के आतंकवाद के खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें भारत ने छह विभिन्न क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। इन्हें संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है कि ये आईएसआईएल या अल-कायदा से जुड़े चरमपंथी समूहों से जुड़े वर्ग हैं जो जम्मू-कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं, चाहे वे प्रत्यक्ष रूप से हों या छद्म या सहयोगियों के माध्यम से, साथ ही क्षेत्र में अन्य अलगाववादी; अन्य आईएसआईएल और अल-कायदा प्रकोष्ठ, उनके सहयोगी या भारत में कट्टरपंथी व्यक्ति।”
पेरिस स्थित वैश्विक संस्था आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन से निपटने के लिए कार्रवाई का नेतृत्व करती है और सिफारिशों को अंतिम रूप देती है। एफएटीएफ ने कहा कि भारत के उत्तर-पूर्व और उत्तर में क्षेत्रीय उग्रवाद तथा सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने वाले वामपंथी नक्सली समूह देश के लिए अन्य आतंकवादी खतरे हैं।
उसने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण आतंकवाद का खतरा आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट) या एक्यू (अल-कायदा) से जुड़े समूहों से संबंधित प्रतीत होता है जो जम्मू-कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल या आईएसआईएस को सीमित समर्थन मिलने के कारण विदेशी आतंकवादी लड़ाकों (एफटीएफ) की वापसी को भारत के संदर्भ में “महत्वपूर्ण जोखिम क्षेत्र” नहीं माना गया।
एफएटीएफ ने इस संदर्भ में ‘केस स्टडीज’ का भी हवाला दिया और कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एक मामले – ‘‘मैंगलोर विस्फोट मामले’’ की जांच की थी – जिसका संबंध आईएसआईएस नेटवर्क से था।
रिपोर्ट में कुछ अन्य आतंकवाद-वित्तपोषण और धन-शोधन मामलों का भी उल्लेख किया गया है, जैसे कि अब प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ बहु-एजेंसी जांच और एनआईए द्वारा 2017 में दर्ज मामला, जिसमें जम्मू-कश्मीर में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस शामिल है।
इसमें धन शोधन के कुछ अत्यधिक चर्चित और जटिल मामलों में एजेंसियों की जांच का भी वर्णन किया गया है, जिसमें भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या से जुड़ा बैंक ऋण धोखाधड़ी का मामला, दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला और महादेव ऑनलाइन ‘‘अवैध’’ सट्टेबाजी ऐप से जुड़ा एक अन्य मामला शामिल है, जिसमें राजनीतिक संबंध जांच के दायरे में हैं।