जाँए तो जाएँ कहाँ, ‘ग़ाज़ा बन चुका है क़ब्रिस्तान, बचने का कोई रास्ता नहीं’,

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संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्ताओं ने आगाह करते हुए कहा है ग़ाज़ा में, सर्दियों की भारी बारिश से बदतर हुए भूख के हालात, दयनीय जीवन परिस्थितियाँ और निरन्तर जारी युद्ध, वहाँ के लोगों का जीवन लगातार ख़तरे में डाल रहे हैं, जिनके परिणामस्वरूप, ग़ाज़ा अब एक “क़ब्रिस्तान” बन गया है.