निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को केंद्रीय और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों को स्पष्ट किया कि 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के आगामी चुनाव में धनबल के इस्तेमाल को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और डॉ. एस एस संधू के साथ यहां चुनाव तैयारियों की समीक्षा की और राजनीतिक दलों, सुरक्षा बलों और अन्य हितधारकों के साथ बैठकें कीं।
निर्वाचन आयोग ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय), एनसीबी (स्वापक नियंत्रण ब्यूरो), राज्य और केंद्रीय जीएसटी (माल एवं सेवाकर), आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल), आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक), राज्य पुलिस, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय आदि जैसी लगभग 20 केंद्रीय और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान, आयोग ने प्रलोभन मुक्त चुनावों पर अपने जोर को रेखांकित किया। आयोग ने चुनावों में धनबल के इस्तेमाल के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति व्यक्त की।’’
सीईसी ने अधिकारियों को आगाह किया कि चुनाव के दौरान जांच के नाम पर जनता को किसी भी तरह से अनुचित तरीके से परेशान नहीं किया जाए। निर्वाचन आयोग ने सभी प्रवर्तन एजेंसियों को “राज्य में अवैध शराब, नकदी और नशीले पदार्थ के प्रवाह को रोकने के लिए समन्वित तरीके से काम करने का निर्देश दिया।’’
आयोग ने पुलिस और आबकारी विभाग को शराब और नशीले पदार्थों के सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापक रोकथाम के लिए अंतर-राज्यीय सीमा और नाका व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए कहा।
आयोग ने अधिकारियों को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार के साथ झारखंड की सीमाओं पर विशेष ध्यान बनाए रखने का निर्देश भी दिया।
सीईसी राजीव कुमार ने कहा, ‘‘हमने राजनीतिक दलों और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठकें की हैं। दलों ने बूथों पर 100 प्रतिशत सीसीटीवी की मांग की है। हमने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पूरा चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन-मुक्त होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में सभी दलों को समान अवसर दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि वे नशा मुक्त चुनाव सुनिश्चित करें और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सीमाओं को सील करें। चुनाव प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप होंगे, लेकिन अधिकारियों को किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए। हम (ऐसे मामलों में) सख्त कार्रवाई करेंगे।’’ सीईसी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों से धान की बुवाई, पर्यटन स्थलों और हॉकी जैसे विभिन्न विषयों के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कहा है ताकि लोग अधिक संख्या में मतदान करने के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग जल्द ही “चुनाव की तारीखों पर अंतिम फैसला” करेगा।
अधिकारियों के अनुसार, कई राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से एक ही चरण में विधानसभा चुनाव कराने का अनुरोध किया है।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, अधिकांश दलों ने निर्वाचन आयोग से चुनाव कार्यक्रम तय करने से पहले अक्टूबर और नवंबर में दिवाली, छठ, दुर्गा पूजा और राज्य स्थापना दिवस जैसे त्योहारों पर विचार करने का अनुरोध किया।
दलों ने निर्वाचन आयोग से चुनाव प्रक्रिया में लोगों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने का अनुरोध भी किया।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग को सूचित किया गया कि छठ पूजा के दौरान राज्य में कई मतदाता यात्रा करेंगे। कई दलों ने एक चरण में चुनाव कराने का अनुरोध भी किया।’’
उन्होंने कहा कि प्राधिकारियों द्वारा किसी भी तरह के अनुचित उत्पीड़न से बचने के लिए, कुछ दलों ने चुनाव के दिनों में मतदान केंद्रों के पास पार्टियों द्वारा डेस्क स्थापित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और क्षेत्रों के सीमांकन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
अधिकारी ने कहा, ‘‘एक दल ने पिछले चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूचियों से नाम हटाए जाने के बारे में भी चिंता जताई। एक दल ने कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की अचानक वृद्धि की जांच का अनुरोध किया।’’
उन्होंने कहा कि कुछ दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान नफरती भाषा के बारे में चिंता जताई और आयोग से राज्य में अवैध प्रवासियों जैसे विचाराधीन मामलों को उठाने पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया।
सोमवार से शुरू हुए आयोग के दो दिवसीय समीक्षा दौरे के दौरान आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आजसू पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के प्रतिनिधियों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों से मुलाकात की।