Amroha News: उत्तर प्रदेश के अमरोहा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसको लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो रहा है। एक स्कूल ने मुस्लिम बच्चे को इसलिए बाहर कर दिया कि वो कथित तौर पर नॉनवेज लाया करता था और कथित तौर पर मंदिरों को तोड़ने की बात करता था। हालांकि परिवार आरोप लगा रहा है कि स्कूल प्रशासन ने छात्र को बंधक बना लिया था। मामले से जुड़ा एक तथाकथित वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ है।
वायरल वीडियो की जांच करने रिपब्लिक भारत की टीम अमरोहा के इस स्कूल में पहुंची तो स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि बीते शनिवार पेरेंट्स टीचर मीटिंग के दौरान कई बच्चों ने तीसरी क्लास में पढ़ने वाले एक बच्चे को लेकर शिकायत की थी, जिसमें कई पैरंट्स ने बताया कि तीसरी क्लास में पढ़ने वाला बच्चा हिंदू देवी देवताओं का अपमान करता है। ये बच्चा कथित तौर पर दूसरे बच्चों को मुस्लिम बनाने और मंदिर तोड़ने की धमकी देता था। 2 तारीख को जब स्कूल प्रशासन ने पूरी क्लास से इस बारे में जानकारी जुटाई तो बच्चों ने तीसरी क्लास में पढ़ने वाले बच्चे के खिलाफ कई बातें बोलीं। इसके बाद स्कूल प्रशासन ने उसे बच्चों को कंप्यूटर लैब में बिठा दिया, ताकि स्कूल में माहौल खराब ना हो।
बच्चे को बंधक बनाने के आरोप गलत- प्रिंसिपल
स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चे के पेरेंट्स को कॉल किया गया, ताकि बच्चे की काउंसलिंग कराई जा सके। बच्चे को बंधक बनाकर रखा गया ये बात बिल्कुल गलत है। बच्चा जब कंप्यूटर लैब में बैठा था तो उसने वहीं पर ही अपना लंच किया और जब वो वॉशरूम जा रहा था तो उसे वॉशरूम भी जाने दिया गया, बंधक बनाने जैसी कोई बात नहीं है। प्रिंसिपल ने कहा कि जब बच्चे की शिकायत के बारे में उसकी माता को बताया गया तो वो गुस्सा करने लगी और स्कूल प्रशासन पर ही आरोप लगने लगीं।
‘7 साल का बच्चा हिंदू देवताओं का अपमान नहीं कर सकता’
रिपब्लिक भारत ने उस बच्चे की मां से भी बात की। बच्चे की मां का कहना है कि महज 7 साल का बच्चा हिंदू देवी देवताओं का अपमान नहीं कर सकता। स्कूल के ये आरोप गलत हैं। बच्चों को बंधक क्यों बनाया गया, कंप्यूटर लैब में अकेले क्यों बिठाया गया, पीड़ित परिवार को जानकारी समय पर क्यों नहीं दी गई, ये आरोप पीड़ित परिवार लगता नजर आ रहा है।
शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी बनाई
सवाल उठता है कि अगर 7 साल का मुस्लिम बच्चा वाकई स्कूल में जाकर इस तरह की धमकी दे रहा है तो ऐसे मासूमों को बहकाने वाला कौन है? बहरहाल, इस मामले की जांच के लिए शिक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रशासन से लिखित में उनका पक्ष मांगा तो वहीं आरोप लगा रही फैमिली से भी जांच टीम ने लिखित में उनका पक्ष दर्ज करने को बोला है।
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