ठाणे : अदालत ने सशस्त्र डकैती के मामले में मकोका के तहत दर्ज मुकदमे से तीन आरोपियों को बरी किया

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महाराष्ट्र में ठाणे जिले की एक अदालत ने 19 साल पुराने सशस्त्र डकैती के मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मुकदमे से तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

विशेष मकोका न्यायाधीश अमित शेटे ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा, इसलिए उन्हें संदेह का लाभ मिलना चाहिए। यह आदेश 25 सितंबर को पारित किया गया था जिसकी प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई।

अदालत ने सेल्वराज सुब्रमण्यम मुदलियार (45), जयराम अच्छेलाल जायसवाल (39) और अनिल जसराम चौहान (48) को मामले से बरी कर दिया। मुकदमे के दौरान दो अन्य आरोपियों की मृत्यु हो गई जिसके कारण उनके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया था। अदालत ने अपराध में कथित रूप से शामिल एक अन्य व्यक्ति को भी बरी कर दिया।

इन लोगों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और मकोका के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सशस्त्र डकैती और संगठित अपराध का मामला दर्ज किया गया था। मामले के विवरण के अनुसार, कल्याण-नासिक रोड पर स्थित एक होटल मालिक पर एक अगस्त 2005 को हथियारबंद बदमाशों ने हमला किया और लूटपाट की।

बचाव पक्ष के वकील सागर कोल्हे और हरेश देशमुख ने आरोपों का खंडन किया तथा अभियोजन पक्ष की जांच पर सवाल उठाए। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि जांच में पर्याप्त सबूत नहीं जुटाए गए और न ही गवाहों को सही तरीके से पेश किया गया, जिससे तीन आरोपियों के खिलाफ मामला कमजोर पड़ गया।

न्यायाधीश शेटे ने पाया कि मुखबिर की गवाही में विसंगतियां थीं, विशेष रूप से प्राथमिकी के समय और आरोपियों की पहचान कराने के दौरान यह विसंगतियां देखी गई। अदालत ने निर्देश दिया कि जांच में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए फैसले की एक प्रति ठाणे पुलिस आयुक्त को भेजी जाए।