
सूर्यास्त के समय गोदावरी नदी के पानी का सौन्दर्य हो, प्राचीन पेड़ के तने पर बैठा रंग-बिरंगा तोता या फिर मन्दिरों के साथ लहलहाते पौधों के समन्वय की आभा – इन तस्वीरों के पीछे केवल इसमें दर्शाए चित्रों की ही कहानी नहीं है – इनमें छिपी हैं इन फ़ोटो को खींचने वाले दृश्यकारों की कहानियाँ, जिनमें कुछ ख़ास बात है. विशेषकर इसलिए, क्योंकि ये तस्वीरें विकलांग फ़ोटोग्राफ़रों ने खींची हैं.