कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) ने तिरुपति मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी की आपूर्ति में इस्तेमाल किये जा रहे अपने वाहनों पर ‘जीपीएस’ लगाया है।
तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में कथित तौर पर पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल से उपजे विवाद के बाद यह उपाय किया गया है।
केएमएफ के प्रबंध निदेशक एम के जगदीश ने कहा कि टीटीडी द्वारा एक महीने पहले उसे निविदा दिये जाने के बाद नंदिनी घी की आपूर्ति बहाल कर दी गई है।
‘नंदिनी’ कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का लोकप्रिय ब्रांड है।
जगदीश ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने एक महीने पहले (टीटीडी को) घी की आपूर्ति बहाल कर दी है। हमने वाहनों पर जीपीएस प्रणाली और ‘जियो लोकेशन डिवाइस’ लगा दी है, ताकि हम पता लगा सकें कि वे कहां-कहां रुकते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कहीं भी मिलावट नहीं किया जा सके।’’
जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) का उपयोग किसी वाहन की वास्तविक अवस्थिति का पता लगाने में किया जाता है।
उनके अनुसार, केएमएफ को 350 टन घी की आपूर्ति का अनुबंध मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी आवश्यकता पड़ेगी हम घी की आपूर्ति करेंगे।’’
शुक्रवार को प्रयोगशाला रिपोर्ट का हवाला देते हुए टीटीडी ने कहा कि घी में सूअर की चर्बी और अन्य अशुद्धियां थीं।
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने कहा कि प्रयोगशाला जांच में, चयनित नमूनों में पशुओं की चर्बी और सूअर की चर्बी की मौजूदगी का पता चला है और बोर्ड ‘मिलावटी’ घी की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को काली सूची में डालने की प्रक्रिया में है।
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