मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार ने शनिवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
माणिक सरकार की यह टिप्पणी बांग्लादेश के कुछ इलाकों में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर हमलों की खबरों की पृष्ठभूमि में आई है।
अत्याचारों पर ‘जिम्मेदार प्रशासन चुप नहीं रह सकता’- माणिक सरकार
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों पर हाल ही में हुए हमलों के विरोध में वामपंथी दलों द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के अत्याचारों पर ‘जिम्मेदार प्रशासन चुप नहीं रह सकता’।
माकपा नेता ने कहा, “बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख (मोहम्मद यूनुस) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में देश में लोकतंत्र की बहाली का वादा किया था। हमें उम्मीद है कि उनके वादे को वहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी उपायों के साथ लागू किया जाएगा।”
उन्होंने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए ‘सकारात्मक सोच वाले लोगों से आगे आने’ का भी आग्रह किया।
बांग्लादेश में बौद्ध, पुजारी और चर्च के पदाधिकारियों को धमकियां मिल रही- प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा
इस बीच, टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने दावा किया कि बांग्लादेश में अब भी कई बौद्ध, पुजारी और चर्च के पदाधिकारियों को धमकियां मिल रही हैं।
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश सरकार की असली परीक्षा यह होगी कि क्या वे त्योहार के इस महीने के दौरान अल्पसंख्यकों की रक्षा कर सकते हैं। कई बौद्ध, पुजारी और चर्च पदाधिकारियों ने लगातार मिल रही धमकियों के बारे में मुझे बताया है।”
उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “शेख हसीना की सरकार में सभी धर्मों के लोग बिना किसी डर और खतरे के त्योहार मना सकते थे, लेकिन आज कुछ अपराधी खुलेआम अल्पसंख्यकों को धमका रहे हैं।”
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