Ratan Tata Death: दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल रतन टाटा अपनी शालीनता और सादगी के लिए मशहूर रहे। वो 30 से ज्यादा कंपनियों के कर्ताधर्ता थे, जो 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली हैं लेकिन उन्होंने अपना जीवन एक संत की तरह जीया। रतन टाटा की कहानियां लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी और लोगों को प्रेरणा देती रहेंगी।
भारत में नमक से लेकर जहाज तक, सब टाटा है। सरल व्यक्तितत्व के धनी रतन टाटा एक कॉरपोरेट दिग्गज थे, वहीं अपनी शालीनता और ईमानदारी के बूते उन्हें हर कोई पसंद करता था। भारत के हर आदमी से टाटा किसी ने किसी तरह से जुड़े हैं। हर भारतीय अपने अंदाज में उन्हें याद कर रहा है। रतन टाटा ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि वे लोगों के बीच किस तरह यादों में रहना चाहते हैं।
रतन टाटा ने बताया कैसे रखें याद
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की। हालांकि, चार बार ऐसा हुआ जब उनकी शादी होने वाली थी। एक बार ऐसा तब हुआ जब वह अमेरिका में थे। रतन टाटा ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि वो चाहते हैं कि लोग उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में याद रखें जो बदलाव लाने में सक्षम था। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रतन टाटा ने इंटरव्यू की वीडियो X पर शेयर की है। जिसमें रतन एक सवाल के जवाब में बता रहे हैं कि
कौन होगा रतन टाटा का उत्तराधिकारी?
रतन टाटा के निधन से टाटा ट्रस्ट्स के शीर्ष पद पर एक खालीपन आ गया है, जिसके पास समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का 66 प्रतिशत हिस्सा है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को उनके उत्तराधिकारी के रूप में एक मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। नोएल टाटा, स्टील और घड़ी कंपनी टाइटन के उपाध्यक्ष हैं। उनकी मां और रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा इस समय ट्रेंट, वोल्टास, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन और टाटा इंटरनेशनल की अध्यक्ष हैं। रतन टाटा के छोटे भाई जिम्मी पारिवारिक उद्योग से नहीं जुड़े हैं और कोलाबार के एक दो कमरों के मकान में रहते हैं।
कैलिफोर्निया में बसना चाहते थे रतन टाटा
रतन टाटा 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से आर्किटेक्चर में बी.एस. की डिग्री प्राप्त करने के बाद पारिवारिक कंपनी से जुड़ गए। वह कैलिफोर्निया में बसना चाहते थे, लेकिन दादी की खराब सेहत की वजह से भारत लौट आए थे। उस समय उन्हें IBM कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन टाटा संस के तत्कालीन अध्यक्ष और रतन टाटा के चाचा जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने उन्हें अपने ग्रुप के लिए ही काम करने के लिए मनाया।
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