दिल्ली के कई अस्पतालों में दिवाली पर पटाखों के कारण झुलसने के 280 से अधिक मामले सामने आए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी ‘बर्न यूनिट’ वाले सफदरजंग अस्पताल में बृहस्पतिवार को सबसे ज्यादा 117 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 48 और लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में झुलसने के 19 मामले सामने आए।
अस्पताल प्राधिकारियों के अनुसार कुल मरीजों में से 102 मामूली रूप से जले थे, जिनका बाह्य रोगी आधार पर उपचार किया गया, जबकि गंभीर रूप से जले 15 मरीजों को भर्ती किया गया। उन्होंने बताया कि 20 मरीज 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे थे।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक 86 मामलों की वजह पटाखों से झुलसना थी जबकि 31 मरीजों को दीये से झुलसने की शिकायत थी। पटाखों से हाथ में गंभीर चोट लगने के कारण पांच लोगों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ी।
इसमें कहा गया है कि दिवाली से एक दिन पहले 30 अक्टूबर को सफदरजंग अस्पताल में झुलसने के 18 मामले दर्ज किए गए, जिनमें नौ मरीजों को भर्ती किया गया और मामूली रूप से जलने के कारण इतने ही लोगों का उपचार किया गया।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित एम्स-दिल्ली के मीडिया प्रकोष्ठ की प्रभारी प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा के मुताबिक संस्थान के प्लास्टिक, पुनर्निर्माण और बर्न सर्जरी विभाग में दिवाली की शाम सात बजे से एक नवंबर की सुबह सात बजे तक 48 मामले दर्ज किए गए।
डॉ. दादा ने बताया कि इनमें से 32 मामले विशेष रूप से पटाखों से जलने से संबंधित थे, 48 मरीजों में से 27 गंभीर रूप से झुलस गए जबकि 21 को मामूली चोटें आईं। उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से झुलसे 19 मामलों में गहन देखभाल की आवश्यकता थी, जिनमें से 11 मरीजों की हालत गंभीर है।
डॉ. दादा ने कहा कि पटाखों से संबंधित चोटों के अलावा, मरीजों ने अन्य प्रकार की झुलसने की भी सूचना दी है, जिनमें से 35 मामले दिल्ली में, आठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में और पांच मामले एनसीआर के बाहर से हैं।
इस दिवाली पर आंखों की चोटें भी चिंता का विषय रहीं, एम्स के आरपी नेत्र विज्ञान केंद्र में 31 अक्टूबर को ऐसे 50 मामले तथा एक नवंबर तक 30 अतिरिक्त मामले दर्ज किए। इस बीच, दिल्ली सरकार द्वारा संचालित सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में दिवाली समारोह के दौरान झुलसने के 19 मामलों का इलाज किया गया।