Crackers Ban on Diwali : दिवाली आते-आते देश के समाज सेवी जागृत हो जाते हैं। आम दिनों में जब किसी राजनीतिक दल का नेता महीनों बाद जेल से बाहर आता है, तो बिना प्रदूषण की परवाह किए बेहिसाब पटाखे जलाए जाते हैं, किसी मशहूर सिंगर की कंसर्ट में जाकर गंदगी फैलाना, चीजों की तोड़फोड़ करना एक आम कल्चर है, लेकिन जैसे ही दिवाली आ जाए, राजनेताओं और समाज के जागरुक लोगों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को वायु प्रदूषण और वातावरण में गंदगी फैलाने की याद आने लगती है। दिवाली का जश्न देशभर में खुशी के साथ मनाया जा रहा है। ऐसे में इन दिनों समाज सेवक अचानक से जागृत हो गए हैं। हालांकि, इन्हें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने जमकर जवाब दिया है।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “अभी तो दीवाली आई नहीं है, पटाखे छूटे नहीं हैं फिर भी प्रदूषण क्यों? पटाखे छोड़ने के कोर्ट के आदेश और सरकार के आदेश का सब पालन करेंगे, लेकिन जिस प्रवर्त्ती के चलते हुए जिस तरह का आक्षेप लगाया जाता है, ये दर्शाता है कि प्रदूषण के वास्तविक कारणों पर नियंत्रण करने की बजाए साल में एक दिन कुछ घंटे की घटना पर ठीकरा फोड़ने का जो विचार है, वो डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व और इरेडिकेशन ऑफ सनातन धर्म से प्रेरित है।”
जब केजरीवाल की रिहाई पर आप कार्यकर्ताओं ने छोड़े थे पटाखे
ज्यादा पुरानी नहीं हाली की ही बात है, जब आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को बेल मिली और वो तिहाड़ जेल से बाहर निकले। केजरीवाल के बाहर निकलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर पटाखे जलाए। उस वक्त किसी भी राजनीतिक दलों को प्रदूषण की समस्या का एहसास नहीं हुआ। हालांकि, ये पहली बार नहीं जब अचानक से देश के दिग्गज वायु प्रदूषण को लेकर इतनी बुलंद आवाज निकाल रहे हैं। हर साल दिवाली के आते ही वायु प्रदूषण के प्रति जागरुक होने की प्रथा चली आ रही है।