पंचमसाली समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने पर फैसला कानून और संविधान की भावना के अनुरूप होगा : सिद्धरमैया

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में पंचमसाली लिंगायत समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग पर फैसला कानून और संविधान की भावना के अनुसार लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर सरकार की सोच खुली हुई है।

पंचमसाली लिंगायत समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे कुदालसंगमा पंचमसाली पीठ के प्रमुख बसव जया मृत्युंजय स्वामी के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के दौरान सिद्धरमैया ने कहा, “हमारी सरकार सामाजिक न्याय के पक्ष में है। हमारा रुख है कि हाशिए पर मौजूद सभी समूहों को न्याय मिलना चाहिए।”

पंचमसाली लिंगायत समुदाय ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण प्रणाली की 2ए श्रेणी (15 फीसदी) में शामिल होना चाहता है। इसके नेताओं के मुताबिक, मौजूदा समय में वे 3बी श्रेणी (5 प्रतिशत) में आते हैं।

प्रमुख वीरशैव-लिंगायत समुदाय के एक उप-संप्रदाय पंचमसाली लिंगायत ने अपनी मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध-प्रदर्शन किए थे।

सिद्धरमैया ने प्रतिनिधिमंडल से कहा, “एक स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग है और उसकी अंतिम सिफारिशें अभी तक हमारे पास नहीं पहुंची हैं। इसके अलावा, (तीन विधानसभा क्षेत्रों में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर) चुनाव आचार संहिता भी लागू है। कोई भी फैसला लेने से पहले महाधिवक्ता, विधि विभाग और विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी। इस समय कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।”

उन्होंने कहा, “संविधान की भावना के अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। जो भी फैसला लिया जाएगा, उसे कानून के मुताबिक ईमानदारी से लागू किया जाएगा।”

उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले समुदाय के नेताओं को सलाह दी थी कि आरक्षण से संबंधित प्रस्ताव स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा उसकी सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी फैसला न्यायसंगत और अदालतों सहित सभी के लिए स्वीकार्य होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “पिछली सरकार ने आपके अनुरोध के आधार पर नयी श्रेणियां 2सी और 2डी बनाने का निर्णय लिया था। वोक्कालिगा को 3ए से 2सी में शामिल करने और लिंगायतों को 3बी से 2डी में शामिल करने का प्रस्ताव लंबित रह गया था। मुस्लिम आरक्षण हटा दिया गया और जब मुसलमानों ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, तो राज्य सरकार यथास्थिति बनाए रखने के लिए सहमत हो गई। इसलिए यह मामला अभी भी अदालत के विचाराधीन है।”

सिद्धरमैया ने कहा कि अभी चुनाव आचार संहिता लागू है, लेकिन पूर्व व्यवस्था के तहत समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की गई है।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि उचित आरक्षण के अभाव में समुदाय के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। उसने पंचमसाली समुदाय, जिसमें बड़े पैमाने पर कृषि श्रमिक शामिल हैं, को 2ए श्रेणी में शामिल करके सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की अपील की।

बैठक में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर और शिवराज तंगडगी, कई विधायक तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मौजूद थे।