बच्चों को स्क्रीन देखने की परमिशन देना गिल्टी, पर है ये पॉजिटिव भी

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कौन से माता-पिता से साथ ऐसा नहीं हुआ होगा? दिन भर अत्यधिक काम करने के बाद आपको अभी रात का खाना बनाना है, शायद कल के लिए भी भोजन की तैयारी करनी है और अब आपके पास इतनी ऊर्जा नहीं बची कि आप अपने बच्चों को कुछ कलात्मक करने या कोई किताब पढ़ने के लिए प्रेरित और राजी कर सकें।

इसके विपरीत जब वे आईपैड पर अधिक समय बिताने की जिद्द करते हैं तो आप उनकी बात मान लेते हैं या हो सकता है कि वे वादा करें कि वे कुछ और यूट्यूब वीडियो देखने के बाद अपना गृहकार्य कर लेंगे। इस पर सहमत होना एक और बार बहस करने से अधिक आसान है। अब आप न केवल थके हुए हैं, बल्कि आपको यह अपराध बोध भी होता है कि आप एक खराब माता-पिता हैं।

अगर आपको भी ऐसा लगता है तो…

अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आप अकेले नहीं है। बच्चे मीडिया का कैसे और कितना इस्तेमाल कर रहे हैं, इस बात को लेकर माता-पिता को ग्लानि होना आम बात हैं और यह उचित भी है क्योंकि स्क्रीन पर बिताए गए समय को नितांत बर्बादी माना जाता है, इसलिए यदि लोग विश्राम के लिए या अपना मिजाज ठीक करने के लिए स्क्रीन देखते हैं तो भी उन्हें ग्लानि महसूस होती हैं और यह भावना तनाव कम करने के उस लाभ को भी कम कर देती है जो स्क्रीन देखने से आपको शायद मिल सकता था।

यह अपराध बोध भले ही अप्रिय भावना है लेकिन अच्छी खबर यह है कि यदि आप इन भावनाओं पर ध्यान दें, तो ये आपको अपने और आपके बच्चों के लिए स्वस्थ विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। बच्चों द्वारा स्क्रीन के उपयोग को लेकर माता-पिता का अपराधबोध मेरे अपने मीडिया शोध समूह सहित विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि सभी उम्र के लोगों द्वारा तनाव कम करने, विश्राम करने और आनंद के लिए स्क्रीन मीडिया का इस्तेमाल करना आम बात है।

लेकिन माता-पिता अपने बच्चों के स्क्रीन उपयोग को लेकर चिंतित हैं और इसके पीछे उचित कारण भी हैं। उचित प्रबंधन के बिना स्क्रीन पर समय बिताना बहुत आसानी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है और इससे नींद में कमी, मोटापे का जोखिम बढ़ना, शैक्षणिक प्रदर्शन में कमी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों जैसी परेशानियां पैदा हो सकती हैं।

माता-पिता अपने बच्चों को बहुत देर तक स्क्रीन पर समय बिताने से जुड़े नुकसान से बचाने के लिए कई नियम बनाते हैं लेकिन शोध से पता चलता है कि अधिकतर माता-पिता उन नियमों को तोड़ देते हैं। अगर कोई बच्चा बीमार है, तो क्यों न उसे कई घंटे वीडियो गेम खेलने दें? ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने बच्चे को टीवी के सामने बिठा दें ताकि वह व्यस्त रहे और आप अपने जरूरी काम निपटा सकें।

जब आप अपने खुद के नियम तोड़ते हैं तो क्या होता है? खासकर जब वे नियम आपके बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हों। आप अपराध बोध महसूस करते हैं जो तनाव का ही एक रूप है जो माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए खराब हो सकता है। स्क्रीन उपयोग को लेकर माता-पिता के अपराधबोध का नकारात्मक पक्ष कोविड-19 महामारी के दौरान जब अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी लोगों द्वारा मीडिया उपयोग में वृद्धि हुई, तो मेरी शोध टीम को बच्चों के स्क्रीन उपयोग को लेकर माता-पिता द्वारा महसूस किए जाने वाले अपराधबोध का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर मिला।

हमने मार्च 2020 में माता पिता के एक समूह को लेकर सर्वेक्षण किया और फिर अप्रैल एवं मई 2020 में एक अन्य समूह का सर्वेक्षण किया। हमने पाया कि 73 प्रतिशत माता-पिता ने थोड़े अपराधबोध का अनुभव किया और 48 प्रतिशत ने मध्यम से अत्यधिक स्तर का अपराधबोध महसूस किया। अपराधबोध को सकारात्मक पहलू में बदलना माता-पिता क्या कर सकते हैं? मीडिया विकल्पों के बारे में कथित गलतियों या गलतफहमियों के लिए खुद को कोसने के बजाय अपने अपराधबोध से सबक सीखना कहीं अधिक उपयोगी होगा।

इस चिंतन से न केवल यह विचार करने का अवसर मिलता है कि आपका परिवार किस प्रकार स्क्रीन का उपयोग कर रहा है, बल्कि यह भी सोचने का मौका मिलता है कि परिवार की खुशहाली के लिए आपको क्या कदम उठाने की आवश्यकता है। आपने आमतौर पर यह नहीं सुना होगा, लेकिन स्क्रीन मीडिया का उपयोग हमेशा बुरा नहीं होता। वास्तव में, इस बात के प्रमाण हैं कि स्क्रीन का उपयोग और इस पर देखी जाने वाली सामग्री कई तरह के अद्भुत परिणामों में योगदान दे सकती है। इससे आप कुछ नया सीख सकते हैं, सामाजिक रूप से जुड़ सकते हैं, प्रेरणा ले सकते हैं और तनाव को दूर कर सकते हैं।

हालांकि अपराध बोध सुखद नहीं होता लेकिन यदि आप यह समझने के लिए कुछ समय निकालें कि आप ऐसा क्यों महसूस करते हैं, तो यह आपको यह तय करने में मदद कर सकता है कि आप मीडिया के इस्तेमाल और असल जिंदगी का अनुभव करने के बीच संतुलन कैसे स्थापित करें ताकि आपको एवं आपके परिवार को इसका लाभ मिल सके।

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