बहराइच में भेड़िए का आतंक तो झाबुआ में टाइगर से दहशत, ST 2303 के निशान कैमरे में कैद; सर्च जारी

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अमरदीप शर्मा की रिपोर्ट

Tiger in Jhabua EXCLUSIVE: झाबुआ के घने जंगलों में टाइगर ST 2303 की तलाश वन विभाग की टीम ने और भी तेज कर दी है। वहीं, जंगल के भीतर टाइगर के ताजे पगमार्क मिलने की खबर भी सामने आई है। जिसके बाद वन विभाग की टीम ट्रैकर अजय के नेतृत्व में टाइगर को ट्रैक करने का काम और तेज कर दिया गया है। रिपब्लिक टीवी के संवाददाता अमरदीप शर्मा इस वक्त मौके पर वहां मौजूद हैं, जिनसे एक्सक्लूसिव तस्वीरें मिल रही है।

ट्रैकर अजय और उनकी टीम टाइगर के हर संभावित कदम पर नजर बनाए हुए हैं, जबकि ग्रामीण भयभीत होकर अपने घरों में छिपे हैं। टाइगर के ताजे पगमार्क कुछ घंटों पहले रिपब्लिक टीवी के कैमरों में कैद हुए हैं। संवाददाता अमरदीप शर्मा जंगल के अंदर से लाइव रिपोर्टिंग कर रहे हैं, जहां उन्होंने टाइगर के ताजा पगमार्क दिखाए हैं।

रिपब्लिक टीवी के संवाददाता मौके पर मौजूद

बता दें टाईगर ST 2303 की उम्र अभी 4 साल है, लिहाजा टाइगर अपने नेचर के हिसाब से जंगल मे अलग अलग जगह अपनी लोकेशन बदल रहा है, जंगल मे बढ़ी हुई झाड़ियां और घास उपर से बारिश का मौसम टाइगर की तलाश कर रही टीम के लिए सबसे बड़ा टास्क है।

टाईगर को ट्रैक कर रहे अजय का कहना है कि ‘ये टाइगर अपने इलाके को लेकर बड़ा संजीदा रहता है, साथ ही ये जंगल छोटा है इसलिए वो ज्यादा दिन यहां नहीं रहने वाला, लेकिन आबादी इलाका इस जंगल के आस पास है और लोगों को देख कर टाइगर अटैक के मोड़ में आता है, इसलिए अभी लगातार इसे ट्रैक करना जरूरी है।’ रिपब्लिक टीवी के संवाददाता अमरदीप शर्मा जंगल में ट्रैक कर रही टीम के साथ झाबुआ के जंगल की उस लोकेशन पर है, लोकेशन पर कुछ देर पहले टाईगर था।

गायब टाइगर ST 2303 को लेकर पहले के अपडेट 

दो दिन पहले भी हरियाणा में रेवाड़ी के गांव झाबुआ में फिर से टाइगर के पैरों के निशान देखे गए हैं, जिस से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि टाइगर ST 2303 वापस गांव में आ गया है। यूपी के 30 से ज्यादा गांव में ऑपरेशन भेड़िए के बीच एक और डराने वाली खबर सामने आई है, अब हरियाणा में रेवाड़ी के गांव झाबुआ में एक बार फिर से टाइगर के पैरों के निशान देखे गए हैं, जिस से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि टाइगर ST 2303 वापस झाबुआ के जंगल में आ गया है। 

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राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर के एरिया में टाइगर 

राजस्थान में अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व से निकलकर टाइगर ST 2303 अब राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर के पास पहुंच चुका है। मिली जानकारी के मुताबिक झाबुआ के जंगलों में इस टाइगर को देखा गया। पिछले 15 दिनों से यह टाइगर झाबुआ के घने जंगलों में घूम रहा है, जिससे आसपास के 6 से 7 गांवों में दहशत का माहौल है।

वन विभाग की टीम कर रही टाइगर को ट्रैक

राजस्थान और हरियाणा के वन विभाग की टीम लगातार इस टाइगर को ट्रैक कर रही है। टाइगर के बढ़ते खतरे को देखते हुए, वन विभाग ने जंगलों में कई स्थानों पर पिंजरे लगा दिए हैं, ताकि उसे सुरक्षित रूप से पकड़कर वापस सरिस्का टाइगर रिजर्व में भेजा जा सके।

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टाइगर पर रखी जा रही नजर

अगस्त महीने में इसी टाइगर ने कई ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था, जिसके बाद से ग्रामीणों में भय बना हुआ है। वन कर्मियों की टीमें लगातार इस टाइगर की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और कोशिश कर रही है कि कि इसे जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।

झाबुआ के घने जंगलों में ट्रैकिंग 

पिछले करीब 20 दिनों से लापता इस टाइगर को ट्रैक करने के लिए राजस्थान और हरियाणा वन विभाग की टीमें झाबुआ के घने जंगलों में जुटी हुई हैं। टाइगर के जंगल से बाहर निकलकर आबादी वाले इलाकों में पहुंचने के बाद उसने 4 से 5 लोगों को घायल कर दिया था। जिसके बाद टाइगर की इस आक्रामकता के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

पगमार्क खोजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल

वन विभाग की टीम बाघ के पगमार्क खोजने के लिए पूरे जंगल की सघन निगरानी कर रही है। ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि बाघ को जल्द से जल्द खोजा जा सके। बारिश के मौसम और जंगल में उगी घनी घास और झाड़ियों के कारण बाघ को ढूंढना चुनौतीपूर्ण हो रहा है, क्योंकि यह उसे छुपने में मदद कर रही हैं।

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टाइगर की तस्वीरें जंगल में लगे कैमरों में कैद

पिछले दो दिनों में बाघ की तस्वीरें जंगल में लगे कैमरों में कैद हुई हैं, जिससे उसके मूवमेंट का पता चला है। इसी आधार पर वन विभाग ने जंगल के विभिन्न हिस्सों में पिंजरे लगाए हैं, ताकि बाघ को सुरक्षित रूप से पकड़कर सरिस्का टाइगर रिजर्व में वापस लाया जा सके।

झाबुआ के जंगलों में वन विभाग की बड़ी टीम बाघ पर नजर बनाए हुए है। टीम के सदस्य लगातार बाघ की तलाश में जुटे हुए हैं और जंगल में उसकी हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। फॉरेस्ट विभाग की गाड़ियां भी इस काम में लगाई गई हैं, ताकि बाघ की खोज में कोई कसर न छोड़ी जाए।

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