‘भेड़िए ने बच्चे की गर्दन पर रखा पंजा और…’,मां ने सुनाई आदमखोर के हमले की दास्तां; कांप उठेगी रूह

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उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़िए के हमले की घटनाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सरकार जितना सुरक्षा के और भेड़ियों के हमले से बचने के उपाय कर रही है, भेड़िए उतने ही खूंखार अंदाज में वापस ग्रामीणों पर हमले कर रहे हैं। ऐसा लगता है भेड़ियों में मौत का खौफ ही खत्म हो गया हो। योगी सरकार ने भेड़िए से बचने के लिए पूरे इलाके में शूटर्स की तैनाती करवाई है। ताजा मामला बहराइच के महसी इलाके का है जहां एक बार फिर आदमखोर ने एक 10 साल के बच्चे पर हमला कर दिया है। गोलवा गांव की इस घटना के बाद वहां पर दहशत का माहौल है।

बहराइच जिले के महसी इलाके के यादव पुरवा गांव के गोलवा टोले में एक आदमखोर भेड़िए ने 10 साल के बच्चे पर हमला करके उसे घायल कर दिया। इस हमले की चश्मदीद गवाह हमले में पीड़ित लड़के की मां खुद हैं। जब रिपब्लिक भारत की टीम ने उनसे बात-चीत की तो उन्होंने बताया कि कैसे आदमखोर भेड़िए ने उनके बेटे को अपना शिकार बनाना चाहा था लेकिन हम लोगों के सजग होने की वजह से वो अपनी इस हरकत में नाकाम रहा। आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने में वन विभाग की टीम लगातार प्रयास कर रही है लेकिन वो बेअसर साबित हो रही है, भेड़िया रोजाना किसी न किसी को अपना शिकार बना ही लेता है।

 

भेड़िए के हमले में पीड़ित बच्चे की मां फूलमति, फोटो- रिपब्लिक वीडियो ग्रैब

हमले में पीड़ित बच्चे की मां ने सुनाई आंखों देखी दास्तां

यादव के पुरवा गांव की गोलवा टोला की फूलमति ने आदमखोर भेड़िए के हमले की आंखों देखी दास्तां रिपब्लिक भारत को बताई। उन्होंने बताया, ‘मेरा बच्चा आंगन में खेल रहा था उसके बाद वो बाहर जाने लगा जैसे ही वो घर के दरवाजे पर पहुंचा भेड़िए ने अचानक से उस पर हमला बोल दिया। जब बच्चा भेड़िए के हमले के बाद चिल्लाने लगा तो हमने देखा कि भेड़िए ने उसे जमीन पर पटक दिया है और उसके सीने पर चढ़कर गर्दन पर पंजा रखा था। तभी हम लोगों ने देख लिया और जोर से शोर मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद भेड़िया बच्चे को छोड़कर भाग गया। बच्चे की गरदन और गाल पर भेड़िए के पंजे से चोट के निशान लगे थे जिसके बाद इलाज के लिए उसे हम अस्पताल लेकर आए हैं।’

 

इलाज के लिए अस्पताल में बैठा पीड़ित परिवार, फोटो- रिपब्लिक वीडियो ग्रैब

बच्चा इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती और खतरे से बाहर

बहराइच के देहात कोतवाली एरिया के महसी इलाके में यादव के पुरवा गांव के गोलवा टोला में रहने वाले 10 वर्षीय संगम लाल पुत्र मैकू लाल पर आदमखोर भेड़िए ने अचानक से हमला बोल दिया। भेड़िए ने ये हमला गुरुवार (5 सितंबर) की शाम को रात 8 बजे के लगभग जब बच्चा अपने घर में खेल रहा था तभी किया था। लोगों के शोर-शराबे के बाद भेड़िया उसे छोड़कर भाग गया। परिजन बच्चे को इलाज के लिए रात 10 बजे लेकर मेडिकल कॉलेज गए जहां उसे इलाज के लिए भर्ती करवाया गया। मेडिकल कॉलेज बहराइच प्रिंसिपल संजय खत्री ने बताया कि फिलहाल बच्चे का इलाज जारी है और वो खतरे से बाहर है।

 

भेड़िए के हमले में घायल 10 वर्षीय संगम लाल पुत्र मैकू लाल, फोटो- रिपब्लिक 

आखिर भेड़िए क्यों कर रहे हमले? एक्सपर्ट ने बताई वजह

भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह जो कि रिटायर होने के बाद ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ के सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे रहे सिंह ने पूर्व के एक अनुभव का जिक्र करते हुए बताया, ’20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के कछार में आदमखोर भेड़ियों के हमलों में 50 से अधिक इंसानी बच्चों की मौत हुई थी। पड़ताल करने पर पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़ियों की एक मांद में घुसकर उनके दो बच्चों को मार डाला था। भेड़िया बदला लेता है और इसीलिए उनके हमले में इंसानों के 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। बहराइच में भी कुछ ऐसा ही मामला लगता है।’

जौनपुर और प्रतापगढ़ में हुई थी ऐसी घटनाएं

ज्ञान प्रकाश सिंह ने आगे बताया,’जौनपुर और प्रतापगढ़ में भेड़ियों के हमले की गहराई से पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि अपने बच्चे की मौत के बाद भेड़िये काफी उग्र हो गए थे। वन विभाग के अभियान के दौरान कुछ भेड़िये पकड़े भी गए थे, लेकिन आदमखोर जोड़ा बचता रहा और बदला लेने के मिशन में कामयाब भी होता गया। हालांकि, अंतत: आदमखोर भेड़िये चिह्नित हुए और दोनों को गोली मार दी गई, जिसके बाद भेड़ियों के हमले की घटनाएं बंद हो गईं।’ सिंह के अनुसार, बहराइच की महसी तहसील के गांवों में हो रहे हमलों का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही एहसास दिला रहा है। उन्होंने कहा, ‘इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे। तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया। संभवतः यहीं थोड़ी गलती हुई।’

 

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