मणिपुर पुलिस ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार ने भूमिगत संगठनों एवं गिरोहों की रंगदारी (जबरन वसूली) से निपटने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया है क्योंकि उनकी (इन संगठनों की) हरकतें पिछले 16 महीनों में अप्रत्याशित स्तर तक पहुंच गयी हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (खुफिया) के कबीब ने यहां पत्रकारों को बताया कि राज्य में तीन मई 2023 को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कई भूमिगत संगठनों एवं गिरोहों ने अपनी गतिविधियां काफी बढ़ा दी हैं। कबीब ने कहा, ‘‘राजमार्गों पर चलने वाले ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही है। चंदे की आड़ में वे व्यापारियों, शिक्षण संस्थानों और आम लोगों को परेशान कर रहे हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियां धीमी हो रही हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ पुलिस इन लोगों से निपटने के लिए अधिकतम एहतियाती कदम उठा रही है।’’ उन्होंने कहा कि ये भूमिगत संगठन कभी-कभी अपहरण, ग्रेनेड हमलों के साथ ही फोन के जरिए धमकियां भी देते हैं।
कबीब ने कहा कि इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) की अगुवाई में जबरन वसूली विरोधी प्रकोष्ठ बनाया है जिसमें सभी क्षेत्रों के पुलिस महानिरीक्षकों को सदस्य बनाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह प्रकोष्ठ पूरे राज्य में जबरन वसूली विरोधी अभियान की निगरानी पर ध्यान देगा। जिला पुलिस ने रंगदारी से निपटने के लिए अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद से समर्पित 15 टीम बनाई हैं।’’ पुलिस के मुताबिक पिछले एक साल में जबरन वसूली करने वाले 121 से अधिक लोगों को भूमिगत संगठनों एवं गिरोहों के करीब 215 सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया गया है।
कबीब ने कहा कि पुलिस अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है और उसने लोगों से जबरन वसूली की किसी भी मांग की सूचना देने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जबरन वसूली करने वालों को पकड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आप एक संगठन के आगे झुक जाते हैं, तो दूसरे भी अपना हिस्सा मांगने आएंगे। कई गिरोह जबरन वसूली के लिए भूमिगत संगठनों के नाम का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
कबीब ने कहा कि जबरन वसूली काफी संगठित मुद्दा हो चुका है जिसकी चपेट में कई जिले आ गये हैं और उसने राज्य की सीमा को भी पार कर लिया है, फलस्वरूप राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।