मायावती ने कर दिया बड़ा ऐलान, बोलीं- ‘बसपा अब किसी भी राज्य में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन नहीं करेगी’

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को एक भी सीट हासिल न होने के बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने फैसला किया है कि उनकी पार्टी अब किसी भी राज्य में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन नहीं करेगी।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि विधानसभा चुनावों में भी गठबंधन के तहत बसपा के वोट दूसरे दल को मिल जाते हैं लेकिन उन दलों द्वारा अपने वोट बसपा को अंतरित नहीं करा पाने की वजह अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कार्यकताओं को निराशा एवं उसके फलस्वरूप आंदोलन को संभावित हानि को बचाना जरूरी है, इसीलिए अब पार्टी क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन नहीं करेगी।

बसपा प्रमुख ने शुक्रवार को ‘एक्स’ लिखा,” उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बसपा के वोट गठबंधन की दूसरी पार्टी को मिल जाने, किन्तु बसपा को अपने वोट दिलाने की क्षमता उनमें (उन दलों में) नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने पर पार्टी कार्यकताओं को निराशा एवं उससे आंदोलन को होने वाली हानि को बचाना जरूरी है।’’

उन्होंने लिखा,‘‘इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम एवं इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा एवं पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया गया, जबकि भाजपा/राजग एवं कांग्रेस/‘इण्डिया’ गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।’’

मायावती ने कहा,‘‘देश की एकमात्र प्रतिष्ठित आंबेडकरवादी पार्टी बसपा एवं उसके आत्म-सम्मान और स्वाभिमान तथा इस आंदोलन को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं।”

बसपा नेता ने कहा,” बसपा विभिन्न पार्टियों/संगठनों एवं उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा एवं सहयोग के बल पर संगठित कर एक राजनीतिक शक्ति बनाने एवं उनको शासक वर्ग बनाने का आंदोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक है।’’

हाल में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में बसपा और इंडियन नेशनल लोकदल इनेलो (इनेलो) ने गठबंधन किया था । लेकिन बसपा का खाता तक नहीं खुला था ।

परिणाम के बाद मायावती ने कहा था कि हरियाणा विधानसभा आमचुनाव बसपा एवं इनेलो ने मिलकर लड़ा किन्तु परिणाम से स्पष्ट है कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने बसपा को वोट नहीं दिया जिससे बसपा उम्मीदवार कुछ सीटों पर थोड़े वोटों के अन्तर से हार गए, हालांकि बसपा के सभी वोट इनेलो को मिले थे।

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