मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले चढ़ा पारा, अयोध्या हार का बदला लेने को BJP तैयार; अखिलेश को सता रहा ये डर

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Milkipur By-election: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव के लिए अड़चन अब खत्म हो गई। कोर्ट के फैसले के बाद उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया। इसके साथ ही मिल्कीपुर का सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। BJP और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए यह सीट काफी अहम मानी जा रही है।

बता दें कि हाल ही उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इस दौरान मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं हो पाया। हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के एक फैसले के बाद अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रास्ता क्लियर हो गया।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट अयोध्या संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। ऐसे में यह सीट पर कब्जा जमाना सभी पार्टियों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इस सीट पर BJP और सपा के बीच कांटे की टक्कर होने की पूरी संभावना है। जहां BJP के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है, तो वहीं सपा के पास अयोध्या में सियासी बढ़त बनाए रखने का मौका है।

अवधेश प्रसाद के बेटे लड़ेंगे चुनाव

समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतारा है। तो वहीं BSP भी अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। हालांकि BJP के पत्ते खुलना अभी बाकी है।

क्यों हो रहे मिल्कीपुर में चुनाव?

उत्तर प्रदेश में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान इस सीट से अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थीं। उन्होंने यहां से BJP के प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ को हराया था। वहीं, 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सपा ने अवधेश प्रसाद को फैजाबाद सीट से चुनाव लड़ने का टिकट दिया। वह इस सीट से जीतकर संसद पहुंचने में भी कामयाब हुए। ऐसे में अवधेश प्रसाद ने सांसद बनने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई।

…तो क्यों नहीं हो पाया यहां उपचुनाव?

यूपी में 9 सीटों के साथ मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं हो सका। इसके पीछे की वजह से इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका।

दरअसल, साल 2022 में अवधेश प्रसाद के विधायक चुने जाने के बाद BJP प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने उनके चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाए थे। बाबा गोरखनाथ ने अवधेश प्रसाद के नामांकन को रद्द की मांग की थी।

हालांकि जब यूपी उपचुनाव को लेकर EC ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की उसके बाद गोरखनाथ बाबा ने अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसको मंजूरी मिल गई और इस तरह मिल्कीपुर में उपचुनाव का रास्ता आखिरकार साफ हो गया।

क्यों प्रतिष्ठा का सवाल बन गई मिल्कीपुर सीट?

मिल्कीपुर में होने वाला उपचुनाव कई मायनों में अहम माना जा रहा है। BJP और सपा दोनों के लिए इस सीट पर कब्जा जमाना जरूरी हो गया। BJP मिल्कीपुर से जीतकर अयोध्या में अपनी हार का बदला लेना चाहेगी। तो वहीं, हाल ही में हुए उपचुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी के लिए निराशा लेकर आए।

उपचुनाव में 9 में से 7 सीटों पर इस बार BJP ने कब्जा जमाया, जबकि सपा केवल 2 ही सीटें जीत पाईं। ऐसे में मिल्कीपुर सीट से इस बार सपा और BJP के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। 

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