मोरबी में 2015 में लड़के से कथित कुकर्म और हत्या के मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की

cbi arrested a sub inspector and two head constables of the delhi police in two separate cases of bribery 1721480630032 16 9

गुजरात के मोरबी जिले में नौ साल पहले स्कूल के एक छात्र से कथित कुकर्म और फिर उसकी हत्या करने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

गुजरात उच्च न्यायालय ने राजकोट के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) पर ‘‘संदिग्ध और अपराधी का पता लगाने या अपराध का ठीक से पता लगाने में अक्षमता’’ का आरोप लगाते हुए इस साल 16 अगस्त को सीबीआई को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था और उसी के निर्देश पर जांच एजेंसी ने प्राथमिकी दर्ज की।

यह मामला मोरबी के एक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र का है। वह 15 दिसंबर, 2015 को स्कूल से नहीं लौटा था। इसके बाद उसके पिता बेटे का पता लगाने के लिए स्कूल के ‘ट्रस्टी’ के पास गए, लेकिन उन्होंने कहा कि विद्यालय से सभी छात्र पहले ही जा चुके हैं।

नाबालिग के दोस्तों ने पुष्टि की कि वे सभी दोपहर लगभग 12:15 बजे स्कूल से चले गए थे।

स्कूल के ‘ट्रस्टी’ से दोबारा पूछे जाने पर उसने मृतक के पिता को बताया कि एक विशेष जाति के छात्रों ने बताया है कि छात्र किसी के साथ ‘एक्टिवा या प्लेजर’ मोटरसाइकिल पर बैठ कर चला गया था।

छात्र का पता नहीं चलने पर मोरबी के एक पुलिस थाने में अपहरण का मामला दर्ज किया गया। तीन दिन बाद नाबालिग का शव मच्छू बांध के पास मिला।

अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि लड़के से ‘अप्राकृतिक’ यौन संबंध बनाने के बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मामले में हत्या और अप्राकृतिक यौन संबंध की धाराएं जोड़ीं।

जांच से संतुष्ट न होने पर पिता ने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।

न्यायमूर्ति हसमुख डी. सुथार ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (पीड़ित के पिता) ने स्वामीनारायण मंदिर के महंतों को लेकर चिंता जताई है क्योंकि उनका बेटा वहां पूजा करने जाता था। हालांकि, जांच अधिकारी ने इस दिशा में जांच नहीं की, जिसके कारण वर्तमान याचिका दायर की गई।’’

उन्होंने कहा कि अपराध की गंभीरता, अपराध का पता लगाने में पुलिस की अक्षमता और जांच में कोई सार्थक परिणाम नहीं आने के नौ वर्ष से अधिक समय बीत जाने के तथ्य को देखते हुए पुलिस को मामले की जांच केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो को सौंपने का निर्देश दिया जाता है।