अखिलेश राय
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की ओर से तत्काल चिकित्सा उपचार और एम्स में इलाज करवाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया।
यासीन मलिक के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह एक नवंबर से भूख हड़ताल पर है क्योंकि उसे कथित तौर पर पर्याप्त चिकित्सा उपचार मुहैया नहीं कराया जा रहा है। जिसके कारण उसका स्वास्थ्य गंभीर रूप से बिगड़ गया है। कोर्ट ने वकील की दलील पर विचार करते हुए तिहाड़ जेल अधीक्षक को तुरंत पर्याप्त चिकित्सा उपचार प्रदान करने का निर्देश दिया है।
वहीं यासिन मलिक के वकील कोर्ट से यह भी मांग की है कि उसके निचली अदालतों में जितने भी मुकदमे चल रहे हैं, उन मुकदमों में वह व्यक्तिगत रूप से पेश हो और अपने मामलों में दलील भी दे। दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले पर अब 11 नवंबर को सुनवाई करेगा।
यासीन मलिक की पत्नी ने राहुल गांधी को लिखा खत
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर जेल में बंद अपने पति का मुद्दा संसद में उठाने का आग्रह किया। मुशाल ने दावा किया कि उसका पति जम्मू कश्मीर में शांति कायम करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पूर्व सहायक मुशाल ने राहुल गांधी को लिखे पत्र में “तीन दशक पुराने राजद्रोह मामले में मलिक के खिलाफ जारी मुकदमे की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उसे मौत की सजा देने का अनुरोध किया है।”
मुशाल हुसैन ने अपने खत में क्या लिखा?
मुशाल ने कहा, “मलिक जेल में अमानवीय व्यवहार के विरोध में दो नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर है। यह भूख हड़ताल मलिक के स्वास्थ्य पर और प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। यह उस शख्स के जीवन को खतरे में डाल देगी, जिसने हथियार छोड़कर अहिंसा की राह पर चलने का विकल्प चुना।”
मुशाल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 2019 से मलिक को “सभी अकल्पनीय तरीकों से” प्रताड़ित कर रही है। उसने कहा, “मलिक पर 35 साल पुराने मामले में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मुकदमा चलाया जा रहा है और अब एनआईए उसके खिलाफ दर्ज मनगढ़ंत मामलों में उसके लिए मौत की सजा की मांग कर रहा है।”
मुशाल ने कहा, “मैं आपसे (राहुल) आग्रह करती हूं कि आप संसद में अपने उच्च नैतिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करें और यासीन मलिक के मामले पर एक चर्चा शुरू करें, जो जम्मू कश्मीर में ‘दिखावटी’ नहीं, बल्कि वास्तविक शांति कायम करने का जरिया बन सकता है।”
(इनपुट- पीटीआई)
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