योगी सरकार का कड़ा एक्शन, सड़कों पर उतरी UP पुलिस; मंदिर-मस्जिदों से उतरवाए 100 से ज्यादा लाउडस्पीकर

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Loudspeaker Religious Place: धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों से लाउडस्पीकर और ध्वनि शोर को लेकर यूपी पुलिस फिर एक्शन में नजर आई। इसके लिए खास अभियान भी चलाया जा रहा है। जौनपुर, पीलीभीत और कन्नौज से पुलिस की कार्रवाई की वीडियो भी सामने आ रही है, जिसमें तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों को उतारा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में मॉर्निंग में बजने वाले लाउडस्पीकर को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लाउडस्पीकर से संबंधित नियमों को लेकर सीएम योगी ने कार्रवाई करने को निर्देश दिए हैं। वहीं सीएम योगी के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार यूपी पुलिस के अधिकारी सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। 

जौनपुर, कन्नौज और पीलीभीत में उतारे स्पीकर 

  • जौनपुर: एसपी डॉ. अजय पाल शर्मा ने आधी रात को सार्वजनिक स्थानों और धार्मिक स्थलों से अवैध और मानक से ज्यादा आवाज वाले लाउडस्पीकर उतरवाए। पुलिस ने शासन की गाइडलाइनों का पालन करते हुए शहर में जांच की और निर्देशों का उल्लंघन करने वाले लाउडस्पीकर हटाए।
  • कन्नौज: सिकंदरपुर चौकी प्रभारी ने पुलिस बल के साथ मंदिर और मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाए। बिना परमिशन के चल रहे लाउडस्पीकरों को शांतिपूर्ण तरीके से उतारा गया।  
  • पीलीभीत: जिलेभर में पुलिस ने लाउडस्पीकर उतरवाने का अभियान चलाया गया। जिसके तहत 133 धार्मिक स्थलों पर लगे तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों पर कार्यवाही की गई और स्कूलों के संचालकों को चेतावनी दी गई। 

तत्काल लाउडस्पीकर उतारे जाएं- CMO

यूपी CMO की तरफ से हाल ही में एक पोस्ट किया गया था, जिसमें लिखा गया- ‘धर्मस्थलों पर अथवा गीत-संगीत के कार्यक्रमों में तय मानक से ज्यादा आवाज और निर्धारित समय के बाद लाउडस्पीकर/DJ न बजें। कानफोड़ू स्वर वृद्धजन, रोगियों और स्कूल-कॉलेज के बच्चों के लिए बड़ी समस्या है। पूर्व में इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई हुई थी। एक बार फिर इसका निरीक्षण करें। जहां स्थिति ठीक न हो, तत्काल लाउडस्पीकर उतारे जाएं।’ 

देश के हर व्यक्ति को शांति से रहने का अधिकार- SC

सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2005 को ध्वनि प्रदूषण पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश के हर व्यक्ति को शांति से रहने का आधिकार है, जो उसके जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। कोर्ट ने उस वक्त साफ किया था कि लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना भले ही अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के अंतर्गत आता हो, लेकिन यह किसी के जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता।

अनुच्छेद 19(1) ए अभिव्यक्ति की आजादी 

सुप्रीम कोर्ट किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है। तत्कालीन चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की खंडपाठ ने ये आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि किसी को भी शोर मचाकर पड़ोसियों और आस पास के लोगों के लिए परेशानी पैदा करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने साफ किया था कि ऐसे लोग अनुच्छेद 19(1)ए में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की बात करते हैं, लेकिन लाउडस्पीकर चालू कर कोई भी व्यक्ति इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता।

‘बोलने का अधिकार तो, न सुनने का भी अधिकार’ 

कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के पास बोलने का अधिकार है तो दूसरे के पास इसे नहीं सुनने का भी अधिकार है। अगर किसी को जबरदस्ती तेज आवाज में लाउडस्पीकर की सुनाई जाती है तो यह उसके शांति और आराम से प्रदूषणमुक्त जीवन जीने के अनुच्छेद-21 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। ध्वनि प्रदूषण अधिनियम नियम, 2000 के मुताबिक कामर्शिलय, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा (डेसिबल में) तय की गई है। जिसमें औद्योगिक क्षेत्र के लिए दिन में 75 और रात में 70 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय की गई है। कामर्शिलय क्षेत्र के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्र के लिए दिन में 55 और रात में 45 तय है। 

ड्रोन करने करने के बाद यूपी पुलिस एक्टिव

बतादें इस खास अभियान से पहले 13 थाना क्षेत्रों में 20 से ज्यादा धार्मिक स्थलों पर ड्रोन सर्वे किए गए थे। अभियान के साथ ही सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए कि मानकों का ध्यान रखें और अगर कोई गलत काम करता है तो संबंधित के खिलाफ करें। इसके बाद से पूरे जिले में हड़कंप मच गया है और लोग अपना-अपना लाउडस्पीकर स्वयं हटा रहे हैं। 

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