Shantanu Naidu On Ratan Tata: देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन (Ratan Tata Death) से पूरे देश में शोक का माहौल है। राजनीति से लेकर खेल जगत तक की बड़ी हस्तियां भारत के ‘अनमोल रत्न’ को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त और उनके साथ साये की तरह रहने वाले शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) ने भावुक पोस्ट लिखा है।
रतन टाटा के भरोसेमंद सहायक, शांतनु नायडू ने गुरुवार को सुबह साझा की गई एक पोस्ट में राष्ट्रीय आइकन के निधन पर शोक व्यक्त किया। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का लंबी बीमारी के बाद बुधवार देर रात निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।
रतन टाटा के निधन पर शांतनु नायडू का पोस्ट
रतन टाटा के करीबी सहयोगी शांतनु नायडू ने अपने लिंक्डइन अकाउंट के जरिए दिल छू लेने वाला पोस्ट किया। शांतनु ने रतन टाटा की कई व्यावसायिक उपलब्धियों पर नहीं बल्कि उनकी घनिष्ठ मित्रता पर प्रकाश डाला।
रतन टाटा के कार्यालय के 30 वर्षीय महाप्रबंधक शांतनु नायडू ने लिखा, ”इस दोस्ती ने अब मुझमें जो ख़ालीपन छोड़ दिया है, उसे भरने में मैं अपनी बाकी ज़िंदगी बिता दूंगी। दुःख प्यार के लिए चुकाई जाने वाली कीमत है। अलविदा, मेरे प्रिय प्रकाशस्तंभ।”
रतन टाटा और शांतनु की दोस्ती
रतन टाटा के साथ शांतनु नायडू की अप्रत्याशित दोस्ती जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम के कारण परवान चढ़ी। दोनों की मुलाकात 2014 में हुई थी, जब नायडू ने रात में आवारा कुत्तों को कारों की चपेट में आने से बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर विकसित किए थे। उनकी पहल से प्रभावित होकर टाटा संस के मानद चेयरमैन ने नायडू को अपने लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया। बता दें कि पिछले 10 वर्षों में, शांतनु नायडू रतन टाटा के करीबी और भरोसेमंद दोस्त बन गए, जिन्होंने कभी शादी नहीं की और उनके कोई बच्चे नहीं थे। अपने अंतिम कुछ वर्षों के दौरान, रतन टाटा अक्सर अपनी दुर्लभ सार्वजनिक उपस्थिति में नायडू के साथ होते थे।
86 की उम्र में रतन टाटा का निधन
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। एक बयान में टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि बिजनेस लीडर ने न केवल टाटा समूह बल्कि देश के मूल स्वरूप को आकार दिया। उन्होंने आगे लिखा कि हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं, जो वास्तव में एक असाधारण नेता थे, जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे देश के मूल ढांचे को भी आकार दिया है।
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