रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में बारहवां दीक्षांत समारोह का आज (12 दिसंबर) को पं शंभूनाथ शुक्ल सभागार में आयोजन किया गया। दीक्षांत समारोह में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटले और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मंगूभाई पटेल ने स्वर्ण पदकों और उपाधियों का वितरण किया।
समारोह के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल और सारस्वत अतिथि शौर्य डोभाल रहे।
12वें दीक्षांत समारोह में 57 स्वर्ण पदक और 82 पीएचडी और स्नातकोत्तर उपाधियों का वितरण किया गया। वहीं, शौर्य डोभाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता सदैव ज्ञान का केंद्र रहा है। नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे अनेकों ज्ञान के वैश्विक केंद्रों का सृजक भारत रहा है।
उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय भी जान की इसी महान ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है क्योंकि मेरी समझ में विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र को दिशा एवं दशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इतिहास में भी जब हमारे विश्वविद्यालय जीवंत थे, तभी हमारा राष्ट्र और सभ्यता भी जीवंत थे। जब हमारे राष्ट्र पर विदेशी आक्रान्ताओं ने हमला किया गया, तो सर्वप्रथम हमारी जान प्रणालियों एवं शिक्षा के केन्द्रों को निशाना बनाया, तत्पश्चात ही हमें गुलाम बनाया। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे लोगों ने विश्वविद्यालय प्रारंभ किए जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ज्ञान और राष्ट्रवाद के केंद्र बने एवं सहस्त्र स्वतंत्रता सेनानियों को संगठित कर पराधीनता की लड़ाई लड़ी।
शौर्य डोभाल ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप भी इसी प्रकार समाज में अपना योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके द्वारा सीखा गया विज्ञान आपके गांव के एक किसान की सहायता कर सकता है। आपके द्वारा सीखी गई तकनीक जटिल समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती है। आपके द्वारा सीखा गया व्यवसाय प्रबंधन व्यवसाय चलाने में मदद कर सकता है और दूसरों के लिए आय वृद्धि सुनिश्चित कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि आपने जो अर्थशास्त्र सीखा है, वह गरीबी कम करने के काम में मदद कर सकता है। आपके द्वारा सीखी गई भाषाएं और इतिहास संस्कृति को बेहतर समझने और सुदृढ़ बनाने में सहयोग कर सकते हैं। एक प्रकार से यहां का प्रत्येक ग्रेजुएट और स्कॉलर 2047 तक विकसित भारत बनाने में अपना योगदान दे सकता है। हमें यदि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो हमें विश्व को thought leadership देनी होगी।
डोभाल ने अपने भाषण के अंत में सभी विद्यार्थी और शोधार्थीयों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। साथ ही विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकों एवं प्रशासन को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दिया।