अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 13 पैसे लुढ़क कर अबतक के अपने सबसे निचले स्तर 84.73 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। जीडीपी समेत निराशाजनक वृहद आर्थिक आंकड़ों और विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की व्यापक मजबूती के बीच रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि ब्रिक्स मुद्रा पर ट्रंप के बयान के बाद एशियाई मुद्राओं में गिरावट आई है, क्योंकि इस कदम से डॉलर में और मजबूती आ सकती है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को धमकी दी थी कि यदि ब्रिक्स राष्ट्र अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए काम करते हैं तो उन देशों से आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.59 प्रति डॉलर पर खुला था। अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.73 (अस्थायी) के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 13 पैसे की गिरावट है। रुपया शुक्रवार को अपने 13 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 84.60 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.51 प्रतिशत की बढ़त के साथ 106.27 पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.99 प्रतिशत चढ़कर 72.59 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘हमें आशंका है मजबूत डॉलर और एफआईआई निकासी से रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क संबंधी चेतावनी से डॉलर और मजबूत हो सकता है।’’
चौधरी ने कहा कि हालांकि, सकारात्मक घरेलू बाजार रुपये को निचले स्तरों पर सहारा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत के 84.50 रुपये से 84.95 रुपये के दायरे में कारोबार करने का अनुमान है। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 4,383.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।