Akhilesh Yadav-Nitish Kumar: अखिलेश यादव ने जयप्रकाश नारायण के बहाने एक ऐसा दांव खेल दिया है, जिसने कुछ दिनों से शांत बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। अखिलेश यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिया है, जो देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन करते हैं। जेपी नारायण की जयंती के मौके पर अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में नीतीश कुमार को NDA छोड़कर INDI गठबंधन की ओर आने का संकेत दे दिया है। ये बात अलग है कि अखिलेश यादव के बयान पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने जवाब देने में भी देर नहीं की है और बयान को हैरतअंगेज करने वाला कहा है।
इसको समझना होगा कि विपक्ष के नेता बार बार नीतीश कुमार का मन टटोलने की कोशिश करते रहे हैं। ताजा उदाहरण के तौर पर अखिलेश यादव का बयान भी कुछ इसी ओर इशारा करता है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को लखनऊ में शुक्रवार को जेपी नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए JPNIC (जय प्रकाश नारायण नेशनल कन्वेशन सेंटर) नहीं जाने दिया गया। पुलिस के रोके जाने पर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ के बीच अखिलेश यादव ने अपने आवास से तकरीबन 50 मीटर दूर सड़क पर जीप में रखी जेपी की प्रतिमा पर ही माला चढ़ाई। इसी बहाने अखिलेश ने नीतीश कुमार से एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग कर डाली।
अखिलेश ने नीतीश को जेपी आंदोलन की याद दिलाई
समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि बहुत से समाजवादी लोग सरकार में हैं और सरकार को चलने में मदद कर रहे हैं। वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात कर रहे थे। अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार को जेपी आंदोलन की याद दिलाई। समाजवादियों को जय प्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं का घटनाक्रम बतलाया। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘बिहार के सीएम नीतीश कुमार उनके (जय प्रकाश नारायण) आंदोलन से उभरे हैं। वो ये देखें कि बीजेपी की सरकार किस तरह जेपी नारायण को भी श्रद्धांजलि नहीं देने दे रही है। अखिलेश ने नीतीश से अपील की कि केंद्र में बीजेपी की सरकार से जदयू समर्थन वापस ले।
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अखिलेश को JDU ने दिया ये जवाब
लखनऊ JPNIC की आंच बिहार तक पहुंची तो स्थिति को भांपते हुए जदयू ने मैदान में उतरने में देर नहीं की। जदयू की ओर से प्रवक्ता राजीव रंजन ने शुरुआती मोर्चा संभाला है और जवाब देते हुए कहा कि उनका (अखिलेश) का बयान हैरतअंगेज है। सवाल दागते हुए राजीव रंजन ने कहा कि क्या सिर्फ लोकनायक को श्रद्धांजलि तक ही अखिलेश यादव सीमित रखना चाहेंगे? जेपी नारायण आजीवन संघर्षरत रहे, उन्होंने परिवारवाद-वंशवाद और व्यवस्था परिवर्तन को लेकर जो आह्वान किया, अगर निस्वार्थ भी अखिलेश यादव ने उन जीवन मूल्यों को तरजीह दी तो एक परिवार का संपूर्ण आधिपत्य समाजवादी पार्टी पर नहीं रहेगा। राजीन रंजन ने कहा कि अखिलेश का बयान जेपी के जीवन मूल्यों के विपरीत है। उन्होंने आधी रात में JPNIC के जाने पर भी उंगली उठाई।
क्यों बार-बार नीतीश पर डोरे डाल रहा है विपक्ष?
2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐसे रहे कि नीतीश कुमार की भूमिका सरकार बनाने में अहम हो गई। नीतीश की भूमिका एक किंगमेकर की है। इस बार बीजेपी को अकेले पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो नायडू और नीतीश जैसे सहयोगियों के संख्याबल के दम पर बीजेपी की सरकार चल रही है। इसीलिए विपक्ष के नेता बयानबाजी करके नीतीश कुमार की ओर पासा फेंकते रहे हैं। बहरहाल, अखिलेश यादव के बयान पर खुद नीतीश कुमार का जवाब क्या रहेगा, इसका इंतजार है।
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