लिवर ट्रांस्पलांट क्यों किया जाता है, और इसे कहां कराएं?

लिवर ट्रांसप्लांट करवाने के कई कारण हो सकते हैं वैसे यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो एक खराब लिवर से स्वस्थ लिवर को ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया है। लिवर मानव शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है और यह कई तरह के महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिसमें शामिल हैं:

 

पोषक तत्वों और हार्मोन का निर्माण करना,

 

पित्त का उत्पादन, जो शरीर को वसा, कोलेस्ट्रॉल और वसा में घुलनशील विटामिन को अवशोषित करने में मदद करता है,

 

शरीर में प्रोटीन का निर्माण करना,

 

खून से बैक्टीरिया और विषैले पदार्थों को निकालना,

 

संक्रमण से बचाव करना और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना,

 

 

लीवर ट्रांसप्लांट को आमतौर पर उन लोगों के लिए उपचार के विकल्प के रूप में चुना जाता है, जिनका लिवर पूरी तरह से खराब हो जाता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है की स्वस्थ लिवर भी अचानक खराब हो जाता है। जिसके बाद एक बार फिर से इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है।

 

लिवर फंक्शन को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन या डिवाइस द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में, केवल जीवित व्यक्ति का लिवर ही प्रभावी माना जाता है तभी लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें लीवर ट्रांसप्लांट डोनर के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है, इसलिए वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

 

जब मानव शरीर में कोई भी एक अंग खराब हो जाता है, तो व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ नहीं रह पाता है। मानव शरीर का पूरी तरह से स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है।

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट कब करवाना चाहिए और इसके लिए डोनर की जरूरत क्यों होती है?

 

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की आवश्यकता होती है। लिविंग डोनर से लीवर के एक हिस्से का ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसका लिवर ठीक से काम नहीं करता है। डोनर के लीवर को ट्रांसप्लांट करने के बाद लीवर के बचे हुए हिस्से को फिर से बनाया जाता है और इस सर्जरी के कुछ दिनों के वह व्यक्ति स्वस्थ होने लगता है। इस समय के दौरान, लिवर ट्रांसप्लांट का हिस्सा विकसित होता है और व्यक्ति के शरीर के लिए उपयुक्त तरीके से कार्य करने लगता है। मानव शरीर में सभी अंग का ठीक से काम करना जरूरी है तभी वह स्वस्थ रह पता है।

 

 

किन लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट कराना चाहिए ?

 

ये तो सभी जानते हैं कि लिवर शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर के हानिकारक पदार्थों के डी-टॉक्सीफिकेशन में मदद करता है। लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता उन मरीजों को होती है, जिनका लिवर खराब हो जाता है लिवर से जुड़ी बीमारियां :

 

हेपेटाइटिस (Hepatitis)

 

फैटी लिवर की बीमारी (अल्कोहोलिक फैटी लिवर) और (नॉन- अल्कोहोलिक फैटी लिवर)

 

ऑटोइम्यून कंडीशन (Autoimmune disease)

 

आनुवंशिक कारण (Genetics)

 

लिवर कैंसर (Liver cancer)

 

लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis)

 

लिवर फेलियर (Liver failure)

 

 

ज्यादातर लिवर किसी डोनर से ही लिए जाते हैं। लेकिन एक स्वथ्य व्यक्ति केवल अपना आधा लिवर ही दान कर सकता है। हेपेटाइटिस और सिरोसिस के कारण खराब हो चुके लिवर के रोगियों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। ये सभी लिवर से जुड़ी बीमारी हैं और इसका इलाज सही समय पर नहीं किया जाए, तब एक व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है और जब एक स्वस्थ व्यक्ति लिवर का कुछ हिस्सा डोनेट करता है तो इससे एक व्यक्ति को नया जीवन मिलता है।

 

 

लिवर खराब होने के लक्षण

 

 

लिवर खराब होने के लक्षण उसके कारणों पर निर्भर करता है, लिवर की बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न होते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

 

 

त्वचा और आँखों का पीली होना (पीलिया)

 

पेशाब में पीला रंग होना

 

मल का काला होना

 

टखनों, पैरों या पेट में सूजन

 

जी मिचलाना

 

उल्टी महसूस होना

 

भूख कम लगना

 

ज्यादा समय तक थकान महसूस होना

 

त्वचा में खुजली होना

 

ये सभी लिवर खराब होने के लक्षण होते हैं। यदि आपको अपने शरीर में ऐसे कोई भी लक्षण दिखते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके लिए आप हमारे डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।

 

 

लिवर खराब होने के कारण

 

 

सोडा और कोल्ड ड्रिंक: कोल्ड ड्रिंक और सोडा में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इससे आपका वजन तो बढ़ता ही है साथ ही ये लिवर के लिए भी बहुत खतरनाक होती है।

 

अधिक वजन होना : मोटापा सभी के लिए बहुत खतरनाक है। जरूरत से ज्यादा खाने से शरीर में एक्सट्रा फैट हो जाता है जो, फैट स्टोरिंग सेल से बाहर आकर लिवर में जमा होने लगता है। जिसके बाद यह लिवर के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।

 

अन्य बीमारियां : शरीर में आयरन की मात्रा ज्यादा हो जाने से भी लिवर पर बुरा असर पड़ता है और इस बीमारी के कारण लिवर सिरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा विल्सन डिजीज, ब्लड इंफेक्शन आदि के कारण भी लिवर प्रभावित हो सकता है।

 

नींद कम आना : नींद की कमी के कुछ ऐसे प्रभाव भी पड़ते हैं जिनके बारे में आपको पता नहीं होता है। इसी जानकारी के अभाव में हम अपने लीवर को नुकसान पहुंचा लेते हैं। कई बार नींद पूरी ना होने के कारण लिवर पर बुरा असर पड़ता है।

 

सिगरेट और शराब का सेवन: सिगरेट और शराब का सेवन अधिक करने से लिवर पर बुरा असर पड़ता है। सिगरेट की आदत एक ऐसी जानवेला आदत है जो आपके शरीर को हर तरह से नुकसान ही पहुंचाती है। अक्सर लंबे वक्त तक अधिक मात्रा में शराब पीने वाले लोगों का लीवर फेल हो जाता है।

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट से पहले होने वाले टेस्ट ?

 

आपका डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट से पहले डोनर और मरीज को कुछ टेस्ट करवाने को कहता है, ताकि वह मरीज के शरीर के हिसाब से इलाज करें, लिवर के लिए टेस्ट:

 

लिवर फ़ंक्शन टेस्ट

 

ब्लड टेस्ट

 

एक पूर्ण रक्त गणना टेस्ट

 

इमेजिंग टेस्ट

 

लिवर फेलियर या ट्यूमर की जांच के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई, या अल्ट्रासाउंड

 

लिवर बायोप्सी (Liver biopsy), जिसमें व्यक्ति के लिवर का एक छोटा सा सैंपल लिया जाता है ताकि किसी तरह की बीमारी के संकेतों की जांच करना शामिल है।

 

 

लिवर को डोनेट करने के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

 

 

लिवर को डोनेट करने के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Precautions of Liver Donation-in Hindi)

 

जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है, कि लिवर को मुख्य रूप से जीवित दाता (लिविंग डोनट) और मृत डोनर से लिया गया है। यदि कोई व्यक्ति अपने लिवर के कुछ अंग को डोनेट करना चाहता है तो उसे इन 5 बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए-

 

शारीरिक व्यायाम न करना

 

पोषण युक्त भोजन करना

 

वजनदार सामान न उठाना

 

गाड़ी न चलना

 

डॉक्टर के संपर्क में रहना

 

जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि आज कल मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। इसी कारणवश मेडिकल सांइस के पास लगभग सभी तरह की समस्या का समाधान है।

 

 

लिवर की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जिससे आज भारत का हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। हालांकि, लोग इसके समाधान के लिए कई तरह के तरीकों जैसे दवाई लेना, व्यायाम करना, खान-पान में बदलाव करना इत्यादि। लेकिन जब लिवर के मरीज को इन तरीकों से भी फायदा नहीं होता है, तब डॉक्टर मरीज को लिवर प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं। जिसे मेडिकल भाषा में लिवर ट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है। हालांकि, बहुत सारे लोग लिवर डोनर बनना चाहते हैं, लेकिन वे इस प्रक्रिया की अधूरी जानकारी के कारण इस वह ऐसा नहीं कर सकते हैं।

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्ट कितनी है ?

 

अगर हम लिवर ट्रांसप्लांट की बात करें तो भारत में सभी तरह का उपचार बहुत ही सस्ती कीमतों पर उपलब्ध है। लिवर ट्रांसप्लांट करवाने की बाद वह व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है। लेकिन मरीज को उसके बाद अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखना पड़ता है।  अगर हम लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्ट की बात करें तो इसका खर्च 15 लाख से 20 लाख तक है।

 

 

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