बेंगलुरु, चार नवंबर (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से आग्रह किया है कि वे राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दें कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की प्रक्रियाओं के पूरा होने तक वक्फ बोर्ड के सभी भूमि पंजीकरण तुरंत रोक दिए जाएं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई भूमि को पंजीकृत करने के लिए जल्दबाजी में प्रयास किए जा रहे हैं, शायद इस उम्मीद में कि जेपीसी वक्फ अधिनियम में संशोधन ला सकती है।
अशोक ने कहा, “इस पूर्व-निवारक प्रयास के तहत राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड ने कथित तौर पर राजस्व अभिलेखों में फेरबदल करना शुरू कर दिया है तथा किसानों की भूमि का स्वामित्व वक्फ बोर्ड को दे रहे हैं। जल्दबाजी में वक्फ बोर्ड को भूमि के अनुचित दावों का पंजीकरण करने से कर्नाटक के हजारों किसान एवं गरीब लोग अपने उचित और पैतृक संपत्ति अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।” उनके अनुसार यह मामला तब प्रकाश में आया जब विजयपुरा जिले में लगभग 15,000 एकड़ भूमि पर दावा करने वाले सैकड़ों किसानों को नोटिस भेजे गए, आरोप है कि कर्नाटक के प्रत्येक जिले में लगभग 10,000 एकड़ भूमि पर वक्फ बोर्ड द्वारा गुप्त तरीके से दावा किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, “इसके अतिरिक्त वक्फ बोर्ड मंदिरों, मठों और अन्य धार्मिक संगठनों की भूमि पर भी दावा कर रहा है। यह चौंकाने वाला है कि हिंदू समुदाय के शमशानों पर भी वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है। सिंदगी में 13वीं शताब्दी के विरक्त मठ की 1.28 एकड़ भूमि, विजयपुरा में ऐतिहासिक सोमेश्वर मंदिर, कलबुर्गी में बीरादेवरा मंदिर और कर्नाटक में कई अन्य मंदिरों पर कथित तौर पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है।”
पूर्व उपमुख्यमंत्री अशोक ने यह भी दावा किया कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों को पंजीकृत करने के लिए किए जा रहे ये जल्दबाजी के प्रयास लोगों में असुरक्षा और डर का माहौल पैदा कर रहे हैं, जिससे हावेरी जिले में हिंसा भड़की है। उन्होंने पत्र में कहा, “इन घटनाओं के मद्देनजर मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दें कि वे जेपीसी की कार्यवाही पूरी होने तक वक्फ बोर्ड के लिए सभी भूमि पंजीकरण पर तुरंत रोक लगाए।”