Waqf Bill 2024 : वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने प्रस्तावित कानून को लेकर बुधवार को मशहूर इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद के प्रतिनिधियों की राय सुनी। सूत्रों के मुताबिक दारुल उलूम देवबंद की तरफ से शामिल प्रतिनिधि मंडल ने वक्फ बिल को खारिज कर दिया। प्रतिनिधिमंडल की तरफ से शामिल मौलाना अरशद मदनी ने करीब 2 घंटे तक अपनी बात रखी।
जेपीसी की बैठक में दारुल उलूम की तरफ से जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, संस्था के कुलपति अबुल कासिम नोमानी और दो अन्य प्रतिनधि उपस्थित हुए। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ये संशोधन आया तो मुसलमानों की इबादतगाह महफूज नहीं रह पाएगी। अरशद मदनी ने संशोधन लाने के पीछे कि नीयत पर भी शक जताया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन में कई बड़ी खामियां हैं।
‘सुझावों पर जेपीसी करेगी गौर’
समिति की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया, ‘हमने उन्हें बुलाया था क्योंकि देवबंद का दारुल उलूम 150 साल पुराना है, वहां से पूरी दुनिया में इस्लामी विद्वान निकले हैं। आज मौलाना अरशद मदनी और वहां के कुलपति आए थे। विधेयक से जुड़े संशोधनों पर उनकी राय ली है।’ उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर जेपीसी गौर करेगी। बजट सत्र तक कार्यकाल बढ़ने के बाद समिति की यह दूसरी बैठक थी।
मदनी ने किया पुरजोर विरोध
सूत्रों ने बताया कि करीब तीन घंटे तक चली बैठक में मौलाना अरशद मदनी ने समिति के सदस्यों के सवालों के जवाब दिए और वक्फ से जुड़े विधेयक पर विस्तृत राय रखी। सूत्रों के अनुसार, मदनी ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि मौजूदा वक्फ कानून का ही सही ढंग से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। लोकसभा ने 28 नवंबर को इस समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
8 अगस्त को लोकसभा में हुआ पेश
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था। इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है, जिनमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।
धारा 40 को हटाने का प्रावधान
वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
(भाषा इनपुट के साथ)
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