‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर गिरिराज सिंह का कांग्रेस पर पलटवार, कहा- खड़गे की भाषा निगेटिव

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Giriraj Singh Counter Attack Mallikarjun Kharge on One Nation One Election: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) को लेकर अब सियासी बयानबाजियां शुरू हो गई हैं। केंद्रीय कैबिनेट की ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर मुहर लगते ही कांग्रेस ( Congress ) ने सबसे पहले इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसको लेकर कहा कि ये असंभव है और केंद्र सरकार का एक नया शिगूफा है जिससे कि जनता का ध्यान मुद्दों से भटक जाए। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान पर अब केंद्रीय मंत्री और बिहार बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला बोलते हुए कहा आज कैबिनेट से चर्चा हो गई है। खड़गे पर तंज कसते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि उनकी भाषा ही निगेटिव हो गई है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इतने पर ही चुप नहीं हुए उन्होंने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की और कहा, ‘एक देश, एक चुनाव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही इसके पक्ष में हैं। देश के पूर्व जस्टिस से इस पर चर्चा की गई उसके बाद देश के अन्य सियासी दलों से भी इस पर चर्चा की गई। चैंबर ऑफ कॉमर्स से भी इसके बारे में बातचीत की गई। आज कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई। खड़गे की भाषा निगेटिव है उन्होंने इसके पहले भी कहा था कि 20 सीटें और जीती होती तो पीएम मोदी सहित अन्य नेताओं को जेल भेज देते।’

 

देश की प्रगति के लिए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बहुत जरूरीः गिरिराज सिंह

गिरिराज सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला जारी रखते हुए आगे कहा, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ देश की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है। कांग्रेस ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का लगातार विरोध कर रही है। देश का नौजवान चाहता है देश का विकास हो। चुनाव में देश का बहुत पैसा खर्च होता है।’ वहीं कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने भी केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले को शिगूफा बताया और कहा कि क्या आप राज्यों की सरकारें गिरा दी जाएंगी?  

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर BJP को अखिलेश का साथ

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के फैसले को समाजवादी पार्टी का समर्थन मिल गया है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पार्टी ने केंद्र सरकार के फैसले के समर्थन किया है। सपा प्रवक्ता रविदास मल्होत्रा ने कहा कि हम लोग चाहते हैं देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में हों। रविदास मल्होत्रा ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने से पहले सभी विपक्षी पार्टियों और सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक होनी चाहिए। समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। अखिलेश यादव, राहुल गांधी और विपक्षी दलों के नेताओं की सहमति से इसपर आगे कार्रवाई होनी चाहिए। हम लोग चाहते हैं देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में हों लेकिन बीजेपी की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है।

 

‘एक देश एक चुनाव’ संघवाद को नष्ट करता है- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि मैंने ‘एक देश एक चुनाव’ का लगातार विरोध किया है क्योंकि यह एक समस्या की तलाश में एक समाधान है। यह संघवाद को नष्ट करता है और लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। AIMIM चीफ ने कहा कि मोदी और शाह को छोड़कर किसी के लिए एक से अधिक चुनाव कोई समस्या नहीं हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्हें नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी प्रचार करने की अनिवार्य आवश्यकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक साथ चुनाव की आवश्यकता है। बार-बार और आवधिक चुनावों से लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार होता है।

 

रामनाथ कोविंद कमेटी ने भेजा था केंद्रीय कैबिनेट को प्रस्ताव

इसके पहले केंद्रीय कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी का प्रस्ताव ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) को मंजूरी दे दिया और अब इसे शीत कालीन सत्र के दौरान सदन में पेश किया जा सकता है।  ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’  प्रस्‍ताव को रामनाथ कोविंद कमेटी ने कैबिनेट के पास भेजी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में ही ये रिपोर्ट पेश कर दी थी।

 

BJP और सहयोगियों का कांग्रेस पर पलटवार

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्ष में बहुत जल्दी उनके अंदर से दबाव ना बनने लग जाएं। देश में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने इसको सकारात्मक समर्थन दिया है, खास तौर से युवाओं ने। वहीं एनडीए के सहयोगी बिहार से हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया है। मांझी ने कहा, ‘हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है।इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है।’ 

 

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