विदेशी धरती से राहुल ने दिया फिर ऐसा बयान, मचा हंगामा; BJP नेता बोले-ये पुरानी आदत से बाज नहीं आ रहे

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Rahul Gandhi Devata Remark: कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने विदेशी धरती से बयान देकर एक बार देश में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने देवताओं को लेकर टिप्पणी की है। राहुल गांधी इस बार कह रहे हैं कि ‘देवता का अर्थ ईश्वर नहीं है’। इस पर भारतीय जनता पार्टी भड़क उठी है और इसे हिंदुओं का अपमान बता रही है।

बीजेपी के नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘राहुल गांधी विदेश धरती पर जाकर अपनी पुरानी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। हिन्दू संस्कृति, सनातन धर्म, भारत को गाली देना, अपमानित करना है, ये सब कुछ नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने आज एक अद्भुत ज्ञान दिया है। वो कह रहे हैं कि देवता का मतलब भगवान नहीं होता है। क्या कभी राहुल गांधी दूसरे धर्म को लेकर ऐसा बोल सकते हैं? वो कभी नहीं कहेंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘वो कभी प्रभु श्री राम को भगवान नहीं मानते हैं। देवता को ये भगवान नहीं मानते हैं। ये वही राहुल गांधी हैं, जो कहते हैं कि हिंदू हिंसक होता है। कहते हैं कि राम जन्मभूमि के आंदोलन को हमने समाप्त कर दिया।’

‘राहुल ने हिंदू धर्म को अपमानित करने का ठेका लिया है’

पूनावाला ने कहा, ‘कांग्रेस के नेता कहते हैं कि सनातन धर्म बीमारी की तरह है। इनके साथी बोलते हैं कि सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिए। इनके दूसरे सपा के साथी कहते हैं कि हिंदू धर्म धोखा है और वो रामचरितमानस पर हमले बोलते हैं। ऐसे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है।’ बीजेपी नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने हिंदू धर्म और आस्था को अपमानित करने का ठेका लिया है। विदेशी धरती पर जाकर हिंदू धर्म को अपमानित कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने क्या बयान दिया?

राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर गए हैं। टेक्सास यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ संवाद करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ‘देवता का अर्थ ईश्वर नहीं है’। राहुल ने बताया कि ‘देवता’ शब्द को अक्सर दैवीयता के साथ जोड़कर गलत समझा जाता है। कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘भारत में देवता का मतलब वास्तव में एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी आंतरिक भावनाएं उसकी बाहरी अभिव्यक्ति के समान ही हैं, जिसका अर्थ है कि वो पूरी तरह से पारदर्शी व्यक्ति है, इसका मतलब भगवान नहीं है। अगर कोई व्यक्ति मुझे वो सब कुछ बताता है, जो वो मानता है या सोचता है और इसे खुले तौर पर व्यक्त करता है, तो वो देवता की परिभाषा है। हमारी राजनीति के बारे में दिलचस्प बात ये है कि आप अपने विचारों को कैसे दबाते हैं, आप अपने डर, लालच या महत्वाकांक्षाओं को कैसे दबाते हैं और दूसरे लोगों के डर और महत्वाकांक्षाओं का निरीक्षण कैसे करते हैं।’

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