अखिलेश राय
सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद की एक महिला वकील पर की गई विवादित टिप्पणी पर सुप्रीम ने गहरी नाराजगी जताते हुए स्वतः संज्ञान ले लिया और सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने बुधवार को सुनवाई के लिए बैठ गई।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद ने अपने बयान पर खेद जताते हुए माफी भी मांग ली थी। हाईकोर्ट के जज के माफी मांगने को पर्याप्त मानकर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद कर दिया । दरअसल 20 सितंबर को हाईकोर्ट के जज ने एक महिला वकील पर असंवेदनशील टिप्पणी की थी और 21 सितंबर को माफी मांग ली थी।
सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट के जज का बयान हुआ था वायरल
महिला वकील पर की गई अशोभनीय टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद ने पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कह दिया था। हाईकोर्ट के यूट्यूब चैनल पर कोर्ट की सुनवाई का लाइव प्रसारण होता है इसलिए जज की ये दोनों टिप्पणियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वायरल होने के बाद उसी दिन यानी 20 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से जवाब मांग लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, दी नसीहत
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद के दोनो बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ”इस देश में किसी को ये हक नहीं है कि वो देश के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान कहे, इस तरह का बयान देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है”। हाईकोर्ट के जज ने पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कहकर संबोधित किया था।
लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान सावधान रहें जज- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद की माफी को तो स्वीकार कर लिया लेकिन देश के सभी जजों को एक नसीहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में अपनी टिप्पणियों को लेकर बहुत सजग रहने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में अब लोगों का कोर्टरूम में मौजूद रहना जरूरी नहीं है, लेकिन बाहर लोगों की इसपर नजर रहती है और इसका लोगों पर व्यापक असर होता है। इसलिए खासतौर पर जजों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वो कोई ऐसी बात ना करें जिससे लोगों को उनका पूर्वाग्रह नजर आए । जजों को सिर्फ सुनवाई के दौरान कानून और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसले देना चाहिए।
लाइव स्ट्रीमिंग से बढ़ी सुविधाएं- सुप्रीम कोर्ट
भले ही लाइव स्ट्रीमिंग की वजह से हाईकोर्ट के जज के विवादित बयान सामने आए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड ने माना कि लाइवस्ट्रीमिंग की वजह से कोर्ट की सुनवाई और मुकदमों के निपटारे में तेजी आई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह के मामले सामने आने की वजह से हम लाइव स्ट्रीमिंग को बंद नहीं कर सकते है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें न्यायिक प्रकिया में और ज्यादा पारदर्शिता लाने की जरूरत है न कि हम अदालत की सुनवाई को पर्दे में रखें।
इससे पहले भी कलकत्ता हाईकोर्ट के एक जज द्वारा लड़कियों को सेक्स की इच्छा पर नसीहत देने वाले बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी, और उस समय भी जजों को संभलकर बयान देने की नसीहत दी थी। आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की तरफ से हाईकोर्ट के जज की सफाई वाला जवाब पढ़ा गया। अपने जवाब मे हाईकोर्ट जज ने कहा है कि उन्होंने बयान के अगले ही दिन यानी 21 सितंबर को ही खुली अदालत में माफी मांग ली थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट के जज ने कहा कि उनके बयान का मकसद किसी भी व्यक्ति या वर्ग की भावना आहत करने का नहीं था। इसके बावजूद भी अगर किसी की भावना आहत हुई है तो वो इसके लिए खेद जताते हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि अदालत की गरिमा को कायम रखने के लिए जरूरी है कि हम इस मामले को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं, इसीलिए हमने हाई कोर्ट को नोटिस भी जारी नहीं किया था।
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