दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या और दंगे के एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार और अन्य को बरी करने के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक अपील स्वीकार कर ली है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने 21 अक्टूबर को दिए एक आदेश में जांच एजेंसी को निचली अदालत के 20 सितंबर 2023 के आदेश के खिलाफ ‘अपील की अनुमति’ दी और मामले पर अगली सुनवाई दिसंबर में करने का फैसला किया।
अदालत ने आदेश में कहा…
‘अपील की अनुमति’ किसी अदालत द्वारा किसी पक्षकार को उच्च अदालत में फैसले को चुनौती देने की औपचारिक अनुमति देना होता है। अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत की राय में सीबीआई को अपील की अनुमति दी जाती है…अपील स्वीकार की जाती है।’’ अदालत ने मामले में बरी करने के आदेश के खिलाफ पीड़िता शीला कौर की अपील भी स्वीकार कर ली और रजिस्ट्री से वर्तमान आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ 1984 के दंगों से संबंधित किसी भी अन्य अपील पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने 20 सितंबर 2023 को मामले में कुमार को बरी करते हुए उन्हें ‘‘संदेह का लाभ’’ दिया था और कहा था कि अभियोजन ‘‘आरोपियों के खिलाफ संदेह के परे आरोप साबित करने में नाकाम रहा।’’ निचली अदालत ने दो अन्य आरोपियों वेद प्रकाश पियाल और ब्रह्मानंद गुप्ता को भी बरी करते हुए कहा था कि अभियोजन उनके खिलाफ हत्या और दंगा करने के आरोप साबित करने में नाकाम रहा है।
उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी जिसके बाद दंगे भड़क उठे थे। सुल्तानपुरी में एक घटना में सिख व्यक्ति सुरजीत सिंह की हत्या कर दी गयी थी। कुमार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दंडनीय विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। वह दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अभी तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
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