कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि राज्य में कांग्रेस के सरकार में आने से पहले उनके और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था और वह पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। सिद्धरमैया की टिप्पणी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, वही अंतिम है।
सिद्धरमैया ने मीडिया से कहा
सिद्धरमैया ने मीडिया से कहा, ‘‘कोई समझौता नहीं हुआ। मैं आलाकमान के फैसले का पालन करूंगा।’’
उनसे शिवकुमार के इस कथित बयान के बारे में पूछा गया था कि (राज्य में कांग्रेस के) सत्ता में आने से पहले उन दोनों के बीच समझौता हुआ था।
पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी। कांग्रेस पार्टी शिवकुमार को मनाने में कामयाब रही थी और उसने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया था।
तब ऐसी कुछ खबरें सामने आयी थीं कि ‘बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने के ‘फार्मूले’ पर सहमति बनी थी जिसके अनुसार शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन इन खबरों की पार्टी ने आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की है। शिवकुमार ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को किसी से नहीं छुपाया।
मुख्यमंत्री के बयान पर शिवकुमार ने बेंगलुरु में कहा, ‘‘एक बार मुख्यमंत्री ने कह दिया तो उस पर कोई आपत्ति नहीं है… मुख्यमंत्री जो कहते हैं वही अंतिम होता है। कोई आपत्ति नहीं है, मैं हमेशा कुर्सी (पद) के प्रति वफादार हूं, मैं पार्टी के प्रति वफादार हूं। मुख्यमंत्री ने कहा है — कोई (आगे) सवाल नहीं, कोई चर्चा नहीं, कोई बहस नहीं।’’
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इन चीजों से पीड़ा नहीं होती है तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इन सभी बातों का जवाब दे दिया है।’’
जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है तो उन्होंने कहा, ‘‘अभी नहीं…।’’
जब उनसे पूछा गया कि कुछ विधायक मंत्री पद पाने की चेष्टा में लगे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार आलाकमान को मुझे निर्देश देना है और मुझे निर्णय लेना है। आलाकमान ने मुझसे कुछ नहीं कहा है और मैंने कुछ नहीं तय किया है।’’
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल और मंत्रियों के प्रदर्शन के मूल्यांकन को लेकर अटकलें तेज हैं।
मंत्री पद पाने के इच्छुक विधायकों के एक वर्ग की ओर से भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की मांग की गई है। कुछ विधायकों ने तो खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा भी जताई है।
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