
दरअसल विवाद की शुरुआत नारायण गुरु की शिक्षाओं से जुड़ी शिवगिरी कांफ्रेस के दौरान हुई। इस कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा-नारायण गुरु सनातन धर्म के पैरोकार नहीं थे और न ही वह इस मानते थे। वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने इस धर्म को नष्ट किया और एक ऐसे धर्म का सृजन किया जो आधुनिक समाज की जरूरतों के मुताबिक हो।