Bahraich Bhediya Attack: यूपी के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों की दहशत लगातार बरकरार है। रविवार को भेड़ियों ने फिर एक मासूम बच्चे को अपना निवाला बनाया। इसके अलावा एक महिला पर हमला कर उसे जख्मी कर दिया। पिछले एक महीने में भेड़ियों ने 11 लोगों को मार डाला है। मरने वालों में 10 बच्चे शामिल हैं। वहीं बहराइच जिले के करीब 35 गांवों में अब इस बात की दहशत है कि 2 सितंबर यानी कि आज सोमवती अमावस्या है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आज की रात खौफनाक हो सकती है क्योंकि आदमखोर भेड़िये किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं। लोगों को आशंका है कि भेड़ियों का गैंग अमावस्या की रात फिर एक्टिव हो जाएगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ऐसी किदवंतियां हैं कि अमावस्या पर भेड़िये खूंखार हो जाते हैं।
कुछ ऐसी है मान्यता, आप भी जान लीजिए
धर्म और शास्त्रों से जुड़े लोगों के मुताबिक पूर्णिमा में चांद के होने की वजह से शांति रहती है और अमावस्या पर सूर्य की तेजी होती है। जिसके चलते अमावस्या पर आसुरी शक्तियों के साथ-साथ हिंसक जानवर उग्र हो जाते हैं। ही कारण है कि अमावस्या पर भेड़ियों के उग्र होने की बात सामने आती है। इसके अलावा फिल्मों में भी इस तरह की चीजें दिखाई गई हैं। इन्हीं कारणों से गांव के लोगों में अमावस्या की रात बड़े हमले का डर है।
इंसान के खून की महक से भेड़िए चले आते हैं
भेड़िया चूंकि गांव के आसपास के जंगलों में रहता है और वह शिकार करने गांव की ओर आ जाता है। जब भेड़िया एक बार शिकार कर लेता है तो उसे मानव खून की खुशबू के चलते अन्य भेड़िया भी उसी दिशा की ओर जाते हैं और शिकार करते हैं। किसी एक भेड़िए के द्वारा किए गए शिकार की खुशबू अन्य भेड़ियों को लग जाती है तो वह झुंड में शिकार करने निकल पड़ते हैं।
एक शिकार के बाद दो दिन शांत रहता है भेड़िया
जानवरों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि भेड़िया एक बार शिकार कर लेता है तो दो से तीन दिन तक उसका पेट भरा रहता है। उसके बाद ही वह शिकार के लिए निकलता हैं। लेकिन अब लोगों को आशंका है कि अमावस्या की रात वह बड़ा हमला कर सकता है। इसके पीछे कई किस्से और कहानियों का साथ है। आपको बता दें कि इसका कोई प्रामाणिक आधार नहीं है और ना ही रिपब्लिक भारत ऐसी किसी मान्यता या किदवंतियों की पुष्टि करता है।
बहराइच में कैसे पहुंचे भेड़िए
यूपी का बहराइच जिला देवीपाटन मंडल के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। जिले का उत्तरी भाग तराई क्षेत्र है, जो घने जंगलों से घिरा हुआ है। चकिया, सुजौली, निशानगारा, मिहींपुरवा, बिछिया और बघौली जिले के मुख्य वन क्षेत्र हैं। यहां का कतर्नियाघाट भी बहुत प्रसिद्ध है। कतर्नियाघाट के जंगल में हाथी, बाघ और तेंदुआ देखने को मिल जाते हैं। वहीं बहराइच भारत-नेपाल सीमा के पास है और दुधवा टाइगर रिजर्व का भी बफर जोन है। बताया जा रहा है कि बरसात में भेड़ियों की मांद में पानी भर जाता है तो वो सुरक्षित जगह की तलाश के गांवों में पहुंच जाते हैं।
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