कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने वक्फ संपत्ति अतिक्रमण की जांच को दबाने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपदी को 150 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की। उन्होंने यह भी दावा किया कि मणिपदी ने इस भ्रष्टाचार के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।
सिद्धरमैया ने मीडिया को जारी किये एक बयान में कहा
सिद्धरमैया ने मीडिया को जारी किये एक बयान में कहा, ‘‘अनवर मणिपदी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि बी एस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान विजयेंद्र उनके घर आए थे और वक्फ संपत्ति अतिक्रमण रिपोर्ट के बारे में चुप रहने के लिए 150 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। अनवर ने कहा था कि विजयेंद्र को उन्होंने घर से बाहर भेज दिया और इस घटना की सूचना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष को दी।’’
मणिपदी या विजयेंद्र की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘मोदी के न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ वादे का क्या हुआ? इस गंभीर आरोप पर उनकी चुप्पी संदेह और कई सवाल खड़े करती है। भाजपा नेतृत्व विजयेंद्र और वक्फ संपत्ति लूट में शामिल अन्य लोगों को क्यों बचा रहा है?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों बी एस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई के कार्यकाल में भाजपा पहले से ही वक्फ संपत्तियों से संबंधित रिकॉर्ड नोटिस जारी करने के लिए कुख्यात थी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अब रिश्वतखोरी के इन गंभीर आरोपों के बावजूद विजयेंद्र की भाजपा में बढ़ती भूमिका से यह स्पष्ट है कि कर्नाटक भाजपा का एटीएम बन गया है।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि विजयपुर के भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने विजयेंद्र पर अपने पिता येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद दिलाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये देने का आरोप लगाया है। सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘कोविड महामारी के दौरान घोटाले से लेकर वक्फ संपत्ति की लूट तक, कर्नाटक में भाजपा के कारनामे सामने आ रहे हैं। इन आरोपों का जवाब देने के बजाय, भाजपा ध्यान भटकाने के लिए हमारे नेताओं के खिलाफ निराधार आरोप लगा रही है।’’
उन्होंने कहा कि मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और इन आरोपों की तुरंत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच का आदेश देना चाहिए क्योंकि ‘‘कर्नाटक के लोग जवाब के हकदार हैं, न कि लीपापोती के।’’ उनका यह बयान शुक्रवार को भाजपा विधायकों द्वारा विधानसभा से वॉकआउट किए जाने की पृष्ठभूमि में आया है, क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के सदस्यों ने विपक्ष के नेता आर अशोक को वक्फ मुद्दा उठाने से कथित तौर पर रोकने की कोशिश की थी।
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