राशन कार्ड रद्द करने के कर्नाटक सरकार के कदम का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि केवल सरकारी कर्मचारियों और आयकर दाताओं को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की सूची से बाहर निकाला जा रहा है, न कि पात्र गरीब लाभार्थियों को।
सिद्धरमैया ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि रद्दीकरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुरूप है, जो स्पष्ट रूप से सरकारी कर्मचारियों और आयकर दाताओं को बीपीएल राशन कार्ड प्राप्त करने से रोकता है।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि खाद्य सुरक्षा कानून का मूल रूप से विरोध करने के बावजूद वह राजनीति से प्रेरित मुद्दा उठा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पात्र राशन कार्ड धारकों के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।’’
उन्होंने विपक्ष के इन दावों को खारिज किया कि यह कदम चुनावी वादों को लागू करने के लिए धन की कमी से जुड़ा है।
यह विवाद कर्नाटक सरकार के हालिया सर्वेक्षण से उत्पन्न हुआ है जिसमें 22.63 लाख बीपीएल कार्ड धारकों को अपात्र बताया गया है। इस कदम से सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आरोप लगाया कि कार्ड रद्द करना राज्य की गृह लक्ष्मी योजना को लागू करने से बचने की एक रणनीति है।
सिद्धरमैया ने पलटवार करते हुए कहा कि गरीब नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए 2013 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान खाद्य सुरक्षा कानून पेश किया गया था।
वह दिल्ली में कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के नंदिनी ब्रांड की शुरुआत के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे। उन्होंने कृषि ऋण के मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात की।