Kumbh mela Prayagraj 2025: प्रयागराज कुंभ मेला शुरू होने से पहले अखाड़ों में साधु-संतों का आगमन तेज हो गया है और खासकर आवाहन अखाड़े के बाबा जिन्होंने पिछले एक दशक से विश्व कल्याण के लिए अपना हाथ उठाया है, वह भी अपने अखाड़े में पहुंच चुके हैं। कुंभ मेले में हर साल अनोखे साधु आते हैं जो अपने खास रूपों से लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। इस बार एक बाबा ने अपने सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष धारण किया है, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
इस बार महाकुंभ के दौरान एक नई पहल की गई है, जहां 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से संगम किनारे 12 ज्योतिर्लिंग बनाए जा रहे हैं। यह शिव साधना का एक दिव्य रूप है, जिसे श्रद्धालुओं को त्रिवेणी के तट पर दर्शन के लिए मिलेगा। इस अद्भुत संकल्प के तहत 125 करोड़ आहुतियां दी जाएंगी, जो भारत और विश्व के कल्याण की भावना से जुड़ा हुआ है।
स्पेशल साइबर हेल्प डेस्क भी तैयार
इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए 56 साइबर योद्धाओं की एक टीम तैनात की है, जो श्रद्धालुओं की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। इस बार महाकुंभ को ‘डिजिटल महाकुंभ’ बनाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं, जिसमें साइबर ठगों के खिलाफ एक्शन प्लान तैयार किया गया है और महाकुंभनगर के सभी थानों में एक स्पेशल साइबर हेल्प डेस्क बनाई जा रही है।
कुंभ मेले में स्नान करने से धुल जाते हैं पाप
साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है। (Kumbh mela Prayagraj 2025) जिसमें लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। संगम नगरी में कुंभ मेला 13 जनवरी, 2025 से शुरू होगा जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। आपको बता दें कि 45 दिन तक चलने वाले कुंभ स्नान का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कलश से अमृत 12 जगहों पर गिरा था। इनमें 4 स्थान धरती पर और 8 स्वर्ग में थे। पृथ्वी के चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं। प्रयागराज में लगने वाला कुंभ महाकुंभ है जिसका संयोग 144 साल पर बनता है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों का मानना है कि कुंभ मेले में स्नान करने से पिछले सारे पाप धुल जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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