‘हवस के मौलवी’ वाले बयान पर SP नेता ST हसन का पलटवार, बोले-‘बाबा बागेश्वर को मौलवी और पुजारी में…’

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सपा नेता एसटी हसन ने बाबा बागेश्वर के उस बयान पर पलटवार किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हवस के पुजारी सुना है तो हवस का मौलवी क्यों नहीं हो सकता। सपा नेता ने उनके बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उनको मौलवी और पुजारी के लब्ज का मतलब नहीं मालूम है। उन्हें दोनों में क्या फर्क होता है ये पता नहीं है। यही वजह है कि वो इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।

एसटी हसन ने कहा कि मौलवी वो होतें हैं जो इस्लाम के फंडामेंटल की टीचिंग कराते है और पुजारी वो होते है जो पूजा कराते हैं बहुत से मुहावरों में आपको बहुत सी चीज पसंद आ जाए तो उसको कह देते है तुम इसके पुजारी हो। ये बहुत पुराना मुहावरा चला आ रहा है हवस के पुजारी,बहुत खराब करेक्टर के व्यक्ति को कहते है हवस के पुजारी हो। धार्मिक लोगों को ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए और उन्हें सियासत में भी नहीं पड़ना चाहिए। धार्मिक लोगों का काम होता है कि कैसे सबको जोड़कर चले और ना की ये की ये भी हिंदू मुसलमानों की सियासत मे पड़ना शुरू कर दें।

 बाबा बागेश्वर ने मौलवी को लेकर क्या कहा था?

बता दें कि बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बिहार रे बोधगयान में अनुयायियों को संबोधित करते हुए कह था कि सनातनी स्वयं अपने धर्म, संतों और तीर्थस्थलों का मजाक उड़ाते हैं। किसी मुसलमान को आपने कभी अपने धर्म का मजाक उड़ाते नहीं देखा होगा। उन्होंने आगे कहा था कि मुसलमान अपने मौलवियों को अपमानित नहीं करते, लेकिन हिंदू ऐसा करते हैं। वह किसी के विरोध में नहीं हैं लेकिन उन्होंने ‘हवस का पुजारी’ सुना है तो ‘हवस का मौलवी’ क्यों नहीं हो सकता।

हिंदुओं से एकजुट होने की अपील

बाबा बागेश्वर ने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बहुत ही प्रायोजित तरीके से हमारा ब्रेनावाश करने के लिए शब्दों को पहुंचाया जा रही और दिमाग में भरा जा रहा है। यही वजह है कि बहुत से लोग श्राद्ध को भी हास्य समझते हैं। बता दें कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने 200 अनुयायियों को पिंडदान कराने के लिए बागेश्वर धाम से गया आए थे।

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