हाईप्रोफाइल मर्डर का दोषी SC से मांग रहा उम्रकैद की जगह फांसी की सजा, वजह जान हो जाएंगे हैरान

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अखिलेश राय

अपराधी चाहे कितने भी गंभीर अपराध को अंजाम दिया हो लेकिन फांसी की सजा से बडा से बड़ा अपराधी बचने की कोशिश करता है। अदालत से लगातार गुहार लगाता है कि उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद मे तब्दील कर दिया जाए। लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हत्या का दोषी जो उम्रकैद की सजा काट रहा है उसने सुप्रीम कोर्ट में हैरान कर देने वाली मांग कर दी। दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर दी। बेंगलुरू में हुए एक हाईप्रोफाइल मर्डर केस के इस दोषी को पहले तो निचली अदालत और हाईकोर्ट ने फांसी की सजा तो मिल गई लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने ही फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। अब फिर उस दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे उम्रकैद की जगह फांसी की ही सजा दी जाए।

एक राजघराने के एक पूर्व दीवान की तलाकशुदा बेटी को पहले प्रेम जाल में फंसाया फिर 600 करोड की प्रॉपर्टी के लालच में अपनी पत्नी की हत्या कर शव को घर में ही दफन कर दिया। इस हाईप्रोफाइल मर्डर के दोषी का नाम है स्वामी श्रद्धानंद ऊर्फ मुरली मनोहर मिश्रा। मैसूर राजघराने के पूर्व दीवान की तलाकशुदा बेटी शकीरा खलीली से शादी की थी। शकीरा खलीली के पहले पति कई देशों में भारत के राजदूत भी रहे थे। 1991 में हुए इस हत्याकांड ने देश को झकझोर दिया था। उस समय तक स्वामी श्रद्धानंद ने एक धर्मगुरु का चोला भी पहन रखा था और काफी प्रसिद्धि हासिल कर ली थी। मध्यप्रदेश से मैसूर पहुंचे श्रद्धानंद ने पहले मैसूर राजघराने में एक छोटी सी नौकरी हासिल की लेकिन जब 1985 मे शकीरा खलीली का जब अपने पति से तलाक हो गया तब श्रद्धानंद ने शकीरा से नजदीकियां बढ़ानी शुरू की उसका भरोसा हासिल किया फिर शादी कर ली।

सुप्रीम कोर्ट से क्यों मांग रहा मौत की सजा

निचली अदालत और हाईकोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया लेकिन ये उम्रकैद उसके जीवन की अंतिम सांस तक के लिए दी गई थी। लगातार 30 सालों से जेल में बंद श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने कई बार सुप्रीम कोर्ट से रिहाई की मांग की लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली। इस बार उसने अपनी उम्र 84 साल होने का हवाला देकर रिहाई की मांग की है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सामने उसके वकील ने एक इमोशनल दलील पेश की।

जस्टिस बीर आर गवई, जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने कहा कि मृत्यु तक की कैद की सजा से बेहतर है कि उसे फांसी ही दे दी जाए। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, कि “आप चाहते हैं कि आपकी उम्र कैद सजा को फांसी में बदल दिया जाए।” जिसपर श्रद्धानंद ने कहा कि उसे दी गई मृत्यु तक की कैद की सजा मृत्युदंड से भी कहीं अधिक खराब है। राहत की मांग करते हुए श्रद्धानंद ने कहा कि वह बिना किसी पैरोल या छूट के लगातार कारावास में रहा हैं और जेल में रहने के दौरान उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल मामला दर्ज नहीं किया गया है।

हालांकि, जेल से रिहाई की मांग वाली उनकी  याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट जुलाई 2008 के फैसले की समीक्षा के लिए राजी हुआ और इसके लिए अलग से याचिका दाखिल करने को कहा। 2008 केफैसले में निर्देश दिया गया था कि श्रद्धानंद को जीवन भर जेल से रिहा नहीं किया जाएगा।

फिल्मी अंदाज में खुला था हत्या का राज

पत्नी शकीरा खलीली की प्रॉपर्टी पर नजर गड़ाए श्रद्धानंद ने अप्रैल 1991 में चाय में नींद की दवा देकर बेहोश किया फिर ताबूत में बंद कर उसे जिंदा बेगलुरु के अपने ही बंगले में दफना दिया। काफी दिनों बाद जब शकीरा की मां मुंबई से वापस आई और शकीरा के बारे में पूछा तो श्रद्धानंद ने इलाज के लिए अमेरिका जाने का बहाना बना दिया। अमेरिका में भी जब नहीं पता लगा तब शकीरा की मां ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। हाईप्रोफाइल मामला होने की वजह से पुलिस ने भी बड़ी तेजी से जांच की लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। 3 साल तक पुलिस खोजबीन करती रही लेकिन कुछ पता नहीं चला। पुलिस ने इस केस की जांच बंद करने की सोचने लगी थी।

अचानक शराब के नशे में धुत एक व्यक्ति पुलिस कांस्टेबल से शराब के ठेके पर मिलता है उसने कांस्टेबल के सामने बड़ी- बडी बातें करने लगता है और अचानक पुलिस को ही चुनौती देते हुए कहता है कि जो केस पुलिस ने सुलझा पाई वो उसे एक पल मे सुलझा देगा। जब पुलिस उसे पकड कर थाने लाती है तो उस सख्श ने बताया कि वो श्रद्धानंद का नौकर है और शकीरा को श्रद्धानंद ने घर में ही दफन किया है। पुलिस ने श्रद्धानंद के घर को खोदकर ताबूत निकाला और इसतरह श्रद्धानंद सलाखों के पीछे पहुंचा।

कैसे किया कबूलनामा

पुलिस को सबूत मिलने के बाद श्रद्धानंद ने जुर्म कबूल लिया और उसने हत्या की वजह बताई कि उसने शकीरा की 600 करोड की दौलत के लिए प्रेम जाल में फंसाकर शादी की थी और वो दौलत उसे मिलने वाली थी लेकिन अचानक शकीरा ने अपने पहले पति से पैदा हुई चार बेटियों में उस दौलत के बंटवारे का फैसला कर लिया था। इसके बाद श्रद्धानंद ने उसे रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया ।

हत्याकांड पर बन चुकी है डाक्यूमेंट्री

इस हत्याकांड पर OTT प्लेटफार्म पर  ‘Dancing on the Grave’ नाम से एक डाक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। श्रद्धानंद ने उस समय सिरीज के निर्माता को लीगल नोटिस भेजा था। फिलहाल पिछले 11 सालों.से स्वामी श्रद्धानंद ऊर्फ मुरली मनोहर मध्यप्रदेश के सागर जेल में सजा काट रहा है।

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