‘हिमाचल की मोहब्बत की दुकान में नफरत ही नफरत’, संजौली मस्जिद विवाद को लेकर कांग्रेस पर बरसे ओवैसी

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Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली मस्जिद के निर्माण का मामला चर्चाओं में हैं। बीते दिनों इसको लेकर लोगों ने प्रदर्शन हो रहे है। मामले में कांग्रेस सरकार नियमों के तहत कार्रवाई करने की बात कह रही है। संजौली मस्जिद निर्माण के मुद्दे की गूंज विधानसभा में भी सुनाई दी। इस बीच अब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मामले को लेकर हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर भड़क गए हैं।

ओवैसी ने हिमाचल के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आनिरुद्ध सिंह के विधानसभा में दिए गए बयान का वीडियो शेयर कर हमला बोला। इसमें अनिरुद्ध सिंह विधासनभा में चर्चा के दौरान संजौली मस्जिद निर्माण को लेकर अपना पक्ष रख रहे हैं।

अनिरुद्ध सिंह के बयान पर भड़के ओवैसी

अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि संजौली में मस्जिद की वजह से लोगों में गुस्सा है। एक विशेष समुदाय के नए-नए लोग रोज यहां आ रहे हैं।  क्या ये सभी रोहिंग्या मुसलमान हैं? उन्होंने आगे यह भी कहा कि कई को तो वह जानते भी हैं कि वह बांग्लादेश से हैं। अगर यहां  स्थानीय लोग अवैध ढारा बना दें, तो उसे तुरंत तोड़ दिया जाता है। वहीं, संजौली में बिना मंजूरी के बहुमंजिला मस्जिद बनाई गई और इसे तोड़ा नहीं गया।

कांग्रेस पर बोला जोरदार हमला

ओवैसी ने अनिरुद्ध सिंह के इसी बयान पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “क्या हिमाचल की सरकार भाजपा की है या कांग्रेस की? हिमाचल की “मोहब्बत की दुकान” में नफरत ही नफरत। वीडियो में हिमाचल का मंत्री भाजपा की जुबान में बोल रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत के नागरिक मुल्क के किसी भी हिस्से में रह सकते हैं, उन्हें “रोहिंग्या” और “बाहरी” बुलाना देश विरोधी है। ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि सांप्रदायिकता को खुलकर आने में लज्जा आती है, इसलिए वह कांग्रेस का शॉल ओढ़कर आती है।

क्या है पूरा मामला…?

मामला शिमला के संजौली में बिना इजाजत और नक्शा पास कराए 5 मंजिला मस्जिद बनाने का है। हिंदू संगठन के साथ स्थानीय लोग इस मस्जिद को गिराने की मांग पर अड़े हुए हैं। मामले ने तूल तब पकड़ा जब बीते दिनों शिमला के मल्याणा क्षेत्र में एक शख्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट कर दी। झगड़े में गंभीर रूप से घायल हुए व्यक्ति को कई टांके आए।

मामले को लेकर नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने बताया कि यहां केवल एक ही मंजिल बनाने की अनुमति दी गई थी। बाकी मंजिलों को अवैध तरीके से बनाया गया है। कोरोना काल में अवैध निर्माण हुआ। इसका केस कोर्ट में भी चल रहा है।

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