हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को भाजपा सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की राज्यसभा चुनाव से संबंधित याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था।
सिंघवी ने राज्य में 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिलने पर विजेता का फैसला करने में अपनाई गई प्रक्रियाओं को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति ज्योत्सना आर दुआ की पीठ ने कहा, ‘‘मुझे याचिकाकर्ता द्वारा दायर चुनाव याचिका को खारिज करने के लिए प्रतिवादी/आवेदक (महाजन) की दलील में कोई दम नहीं नजर आया और परिणामस्वरूप अर्जी खारिज कर दी गई।’’
सिंघवी ने महाजन से चुनाव हारने के पांच सप्ताह से अधिक समय बाद 6 अप्रैल को उच्च न्यायालय में एक अर्जी दायर की थी, जिसमें उन्होंने वोटों की संख्या बराबर होने के बाद, निर्वाचन अधिकारी द्वारा लॉटरी नियमों की व्याख्या को चुनौती दी थी।
विजेता की घोषणा लॉटरी के माध्यम से की गई तथा निर्वाचन अधिकारी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के तहत लॉटरी से जिस उम्मीदवार का नाम निकला उसे पराजित घोषित कर दिया गया।
महाजन को विजेता घोषित किया गया।
राज्यसभा चुनाव के समय, कांग्रेस का संख्या बल 40 था और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन था। लेकिन दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले क्योंकि नौ विधायकों – कांग्रेस के छह बागी और तीन निर्दलीय – ने भाजपा उम्मीदवार महाजन का समर्थन कर दिया।
आदेश में कहा गया है कि चुनाव याचिका में कानून के तहत आवश्यक सभी तथ्यों का खुलासा किया गया है।
आदेश में कहा गया है कि याचिका में निर्वाचन अधिकारी द्वारा वैधानिक प्रावधानों का पालन न करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई का कारण बनाया गया है, जिन्होंने चुनाव संचालन नियमों के नियम 75 (4) और 81 (3) को लागू किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और प्रशांतो सेन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सिंघवी की ओर से पेश हुए।